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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-डगमगा गई ‘हम दो हमारे दो’ की प्लानिंग

Deepak Dua by Deepak Dua
2021/10/31
in फिल्म/वेब रिव्यू
5
रिव्यू-डगमगा गई ‘हम दो हमारे दो’ की प्लानिंग
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

लड़के-लड़की में प्यार हुआ। लड़की को चाहिए ऐसा लड़का जिसकी स्वीट-सी फैमिली हो। लेकिन लड़का तो अनाथ है। अब…? कहीं लड़की दूर न हो जाए, यह सोच कर लड़का निकल पड़ा नकली मां-बाप की तलाश में। कहीं से ले भी आया। अब शुरू हुई एक झूठ को छुपाने के लिए सौ झूठ की दौड़। लेकिन सच तो एक न एक दिन सामने आना ही था।

मनचाही जगह शादी करने के लिए थोड़ा झूठ बोलने या नकली रिश्तेदारों का जुगाड़ करने वाली कहानियां कोई नई नहीं हैं। ऐसी कहानियों में लड़के-लड़की के रोमांस के साथ-साथ परिवार के इमोशंस और असली-नकली की भागमभाग में कॉमेडी जैसे मसाले भी आ घुसते हैं तो एक अच्छी-सी, दमदार-सी पारिवारिक फिल्म बन कर सामने आती है। कोशिशें इस फिल्म में भी भरपूर हुईं और एक अच्छी-सी फिल्म बनी भी, लेकिन यह फिल्म दमदार-सी नहीं बन पाई है।

डिज़्नी-हॉटस्टार पर आई इस फिल्म के साथ बड़ी दिक्कत लेखन के स्तर पर रही। अभिषेक जैन और दीपक वेंकटेशन ने कहानी तो बढ़िया लिख डाली लेकिन इस कहानी पर स्क्रिप्ट बनाते हुए प्रशांत झा के हाथ-पांव फूल गए और वे कल्पनाशीलता के उस स्तर को छू ही नहीं पाए जो इस तरह की कहानियों में भावनाओं की बाढ़ या हास्य की बौछार ले कर आता है। कहीं किरदार खड़े करने में गड़बड़ हो गई तो कहीं सीन बनाने में। रही-सही कसर संवादों ने पूरी कर दी। इस किस्म की फिल्म में जिस तरह के चुटीले डायलॉग होने चाहिएं, वे इसमें सिरे से लापता हैं। बल्कि ऐसे डायलॉग हैं जो अखरते हैं। टूथपिक मांगने पर ‘बंबू लाऊं’ कहना न तो जंचता है, न हंसा पाता है। परिवार की अहमियत बताने वाला हिस्सा भी कम रह गया जिसके चलते आंखें भी नम नहीं हो पातीं।

यह तो शुक्र है कि कलाकारों का काम अच्छा है और पर्दे पर उन्हें देखना सुहाता है। राजकुमार राव तो उम्दा अभिनेता हैं ही। कृति सैनन लुभाती हैं। उनका पर्दे पर होना चमक पैदा करता है। परेश रावल और रत्ना पाठक शाह अपनी मौजूदगी से प्रभावित करते हैं। मनु ऋषि दमदार रहे हैं। प्राची शाह, मज़ेल व्यास, अपारशक्ति खुराना, सानंद वर्मा आदि भरपूर सहयोग देते हैं। गीत-संगीत अच्छा है और गाने देखने व सुनने में प्यारे लगते हैं। लोकेशंस भी बढ़िया रही हैं और कहानी का साथ निभाती हैं।

गुजराती फिल्मों से आए अभिषेक जैन का निर्देशन हालांकि अच्छा रहा है। लेकिन उन्हें फिल्म की लंबाई और कसावट पर ध्यान देना चाहिए था। इस तरह की फिल्में धीरे-धीरे रफ्तार बढ़ाते हुए चरम छूती हैं जबकि यह फिल्म कहीं धीमी, कहीं तेज तो कहीं सपाट रही है। अपनी इसी डगमगाहट के चलते ही यह फिल्म बस एक बार देखने लायक टाइम पास किस्म की बन पाई है जिसे देखने से न तो कुछ बड़ा हासिल होगा न ही छोड़ने से कोई बड़ा नुकसान।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-29 October, 2021

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। अपने ब्लॉग ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: abhishek jainaparshakti khuranadisney hotstarhum do hamare doHum Do Hamare Do reviewkriti sanonmanu rishimazel vyasparesh rawalprachi shahrajkummar raoratna pathak shahsaanand verma
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Comments 5

  1. Ashish K Singh says:
    4 years ago

    बहुत बढ़िया रिव्यू।

    Reply
    • CineYatra says:
      4 years ago

      धन्यवाद…

      Reply
  2. Dr. Renu Goel says:
    4 years ago

    Nyc review iPlayer i

    Reply
    • CineYatra says:
      4 years ago

      Thanks…

      Reply
  3. Nirmal says:
    4 years ago

    मतलब कास्टिंग डायरेक्टर की मेहनत पर पानी फेर दिया 😀

    Reply

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