• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-‘तूतक तूतक तूतिया’-थोड़ी कॉमेडी थोड़ी भूतिया

Deepak Dua by Deepak Dua
2016/10/07
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-‘तूतक तूतक तूतिया’-थोड़ी कॉमेडी थोड़ी भूतिया
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

सबसे पहले तो इस फिल्म के नाम ‘तूतक तूतक तूतिया’ की बात हो जाए। ये दरअसल एक पंजाबी लोकगीत के बोल हैं-‘तू तक तू तक तू तक तूतिया, हे जमालो… आ जा तूतां वाले खू ते, हे जमालो…।’ इसमें नायक अपनी प्रेयसी जमालो को मिलने के लिए उस कुएं पर बुला रहा है जिसके पास शहतूत का पेड़ लगा हुआ है। इस गीत को कई गायक कई तरह से गाते रहे हैं और यह हमेशा लोकप्रिय रहा है।

अब बात यह कि इस फिल्म का नाम ‘तूतक तूतक तूतिया’ क्यों है? यकीन मानिए, यह फिल्म इस सवाल का कोई जवाब नहीं देती है, सिवाय इसके कि यह गाना अपने एक नए वर्ज़न और रैप के साथ इस फिल्म में बतौर आइटम-नंबर इस्तेमाल किया गया है। अब सोचिए कि जिस फिल्म को लिखने-बनाने वालों के पास अपनी कहानी को देने के लिए एक सलीके का शीर्षक तक न हो, वे उस कहानी और फिल्म के साथ कितना न्याय कर पाएंगे?

हीरो अपनी बीवी को लेकर मुंबई में जिस घर में रहने आया वहां एक ऐसी लड़की की आत्मा रहती है जो एक्ट्रैस बनने का ख्वाब लिए-लिए मर गई। अब वह आत्मा इस औरत में आकर अपना सपना पूरा करना चाहती है और उसका पति परेशान है कि बीवी और एक्ट्रैस में कैसे तालमेल बिठाए।

इस फिल्म को हॉरर-कॉमेडी कहा जा रहा है। ये दोनों ही जॉनर दर्शकों को खासे पसंद आते रहे हैं। कहानी में इतना दम भी दिखाई देता है कि अगर इसे कायदे से फैलाया जाता तो यह एक कमाल की कॉमेडी  हॉरर या हॉरर-कॉमेडी भी बन सकती थी। लेकिन लिखने वाले अपना दिमाग ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाए और डायरेक्टर विजय का विज़न भी बेहद सीमित निकला। लिहाजा, जो बन कर आया है, वह न तो ठीक से हंसा पाता है और न डरा पाता है।

प्रभुदेवा बतौर एक्टर अपनी रेंज में रह कर ठीक-ठाक काम कर लेते हैं। सोनू सूद इतने हल्के रोल वाली फिल्म में काम करने और उसे प्रोड्यूस तक करने को कैसे राज़ी हो गए? तमन्ना साधारण रहीं। दरअसल पूरी फिल्म ही साधारण है जिसे आसानी से भुलाया जा सकता है।

अपनी रेटिंग-डेढ़ स्टार

Release Date-07 October, 2016

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: esha guptaprabhu devasonu soodtamannaahtutak tutak tutia reviewतूतक तूतक तूतिया
ADVERTISEMENT
Previous Post

रिव्यू-‘मिर्ज़्या’ में न वादियां न नदियां, है तो सिर्फ कोहरा

Next Post

रिव्यू-बेवजह की गालियों से लबरेज ‘सात उचक्के’

Related Posts

रिव्यू-चरस तो मत बोइए ‘मालिक’
CineYatra

रिव्यू-चरस तो मत बोइए ‘मालिक’

वेब-रिव्यू : राजीव गांधी हत्याकांड पर सधी हुई ‘द हंट’
CineYatra

वेब-रिव्यू : राजीव गांधी हत्याकांड पर सधी हुई ‘द हंट’

रिव्यू : मस्त पवन-सी है ‘मैट्रो… इन दिनों’
CineYatra

रिव्यू : मस्त पवन-सी है ‘मैट्रो… इन दिनों’

रिव्यू-‘कालीधर’ के साथ मनोरंजन ‘लापता’
CineYatra

रिव्यू-‘कालीधर’ के साथ मनोरंजन ‘लापता’

रिव्यू-’शैतान’ से ’मां’ की औसत भिड़ंत
CineYatra

रिव्यू-’शैतान’ से ’मां’ की औसत भिड़ंत

वेब-रिव्यू : रंगीले परजातंतर की रंग-बिरंगी ‘पंचायत’
फिल्म/वेब रिव्यू

वेब-रिव्यू : रंगीले परजातंतर की रंग-बिरंगी ‘पंचायत’

Next Post
रिव्यू-बेवजह की गालियों से लबरेज ‘सात उचक्के’

रिव्यू-बेवजह की गालियों से लबरेज ‘सात उचक्के’

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – dua3792@yahoo.com

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment