• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-यह शादी कुछ मीठी-तीखी-फीकी

Deepak Dua by Deepak Dua
2017/11/11
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-यह शादी कुछ मीठी-तीखी-फीकी
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

शादी वाली फिल्मों की लाइन लग चुकी है। फ़िल्म वालों की यह भेड़-चाल कुछ अच्छी तो कई खराब फिल्में लेकर आने वाली है। लेकिन हर फिल्म ‘तनु वेड्स मनु’ नहीं हो सकती, यह तय है। आप को कम मिठास वाली ‘बरेली की बर्फी’ से भी काम चलाना होगा। हालांकि ये फिल्में कुछ अलग बात किसी अलग अंदाज़ में कहना चाहती हैं लेकिन कोई न कोई कमी आड़े आकर इनकी उड़ान थाम लेती है। ‘शादी में ज़रूर आना’ इसी दूसरी वाली भीड़ का ही हिस्सा है जिसे बनाने वालों की नीयत नेक है, लेकिन कोशिशों में परफेक्शन की कमी इसे दिल-दिमाग पर छाने नहीं देती।

मिश्रा जी के बेटे और शुक्ला जी की बेटी की शादी तय होती है। लेकिन शादी की रात को लड़की भाग जाती है। लड़का बदले की आग में जलता है और बरसों बाद उससे एक अनोखा बदला भी लेता है।कहानी का अंत सुखद और ड्रामाई है।

कहानी में नयापन है। लड़के-लड़की के दरम्यां परवान चढ़ता शुरुआती रोमांस मीठा लगता है। इनके अलग होने और वापस मिलने के पीछे का तीखा घटनाक्रम दिलचस्प है। दिक्कत आती है कहानी के तीसरे हिस्से में, जहां ये फिर से मिल रहे हैं, करीब आ रहे हैं। यह हिस्सा काफी खिंचा हुआ, उबाऊ, फीका और कुछ ज़्यादा ही ड्रामाई लगता है। कायदे से इसे बदले वाली कहानी के ठीक बाद वाले मोड़ पर खत्म हो जाना चाहिए था।

उत्तर प्रदेश सरकार की उदार नीतियों के चलते ऐसी ज़्यादातर फिल्में अब यू.पी. में शूट हो रही हैं। कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ का माहौल, वहां की ज़ुबान, रंग-बिरंगे किरदार ऐसी फिल्मों को दिलचस्प बनाते हैं। चुटीले संवाद इसमें तड़का लगाते हैं। फिर गोविंद नामदेव, मनोज पाहवा, विपिन शर्मा, के.के. रैना जैसे मंझे हुए कलाकारों की मौजूदगी से असर और गाढ़ा ही होता है। किसी भी किरदार में गहरे उतर कर उसे ऊंचाई पर ले जाना राजकुमार राव को बखूबी आता है। कृति खरबंदा को यूं ही मौके मिलते रहे तो वह दिलों पर छाने लगेंगी। कृति की बहन के किरदार में आई अदाकारा ने कमाल का काम किया है।

फ़िल्म बताती है कि रिश्तों के दरम्यां संवादहीनता की स्थिति उलझनें पैदा करती है, बढ़ाती है। सभ्रांत परिवारों में दहेज दे-ले कर जुड़ने वाले रिश्तों की यह बात तो करती है लेकिन उस पर प्रहार नहीं कर पाती। कल तक लड़की से बिना दहेज शादी की बात करने वाला लड़का दहेज में मिले कई लाख रुपये हज़म कर रहे अपने परिवार वालों को कुछ नहीं कहता।

रत्ना सिन्हा का निर्देशन बढ़िया है। स्क्रिप्ट में वह कुछ और कसावट ले आतीं तो बात और बेहतर हो सकती थी। इस किस्म की फ़िल्म का म्यूज़िक कमज़ोर हो तो मामला और फीका लगने लगता है। फिर फ़िल्म की कहानी से इसके नाम का सीधा नाता न जोड़ पाना भी बताता है कि बनाने वाले आपको शादी में बुला तो रहे हैं लेकिन आपके रहने-खाने का उम्दा इंतज़ाम उनसे हो नहीं पाया है।

अपनी रेटिंग-ढाई स्टार

Release Date-10 November, 2017

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: govind namdeogovind namdevk.k. rainakriti kharbandamanoj pahwarajkummar raoratna sinhashaadi mein zaroor aanashaadi mein zaroor aana reviewvipin sharma
ADVERTISEMENT
Previous Post

रिव्यू-क्लासिक फिल्में ‘इत्तेफाक’ नहीं होतीं

Next Post

रिव्यू-करीब करीब बेहतरीन

Related Posts

रिव्यू-चैनसुख और नैनसुख देती ‘हाउसफुल 5’
CineYatra

रिव्यू-चैनसुख और नैनसुख देती ‘हाउसफुल 5’

रिव्यू-भव्यता से ठगती है ‘ठग लाइफ’
CineYatra

रिव्यू-भव्यता से ठगती है ‘ठग लाइफ’

रिव्यू-‘स्टोलन’ चैन चुराती है मगर…
CineYatra

रिव्यू-‘स्टोलन’ चैन चुराती है मगर…

रिव्यू-सपनों के घोंसले में ख्वाहिशों की ‘चिड़िया’
CineYatra

रिव्यू-सपनों के घोंसले में ख्वाहिशों की ‘चिड़िया’

रिव्यू-दिल्ली की जुदा सूरत दिखाती ‘दिल्ली डार्क’
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-दिल्ली की जुदा सूरत दिखाती ‘दिल्ली डार्क’

रिव्यू-लप्पूझन्ना फिल्म है ‘भूल चूक माफ’
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-लप्पूझन्ना फिल्म है ‘भूल चूक माफ’

Next Post
रिव्यू-करीब करीब बेहतरीन

रिव्यू-करीब करीब बेहतरीन

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – dua3792@yahoo.com

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment