-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
दूसरे विश्व-युद्ध के बारे में बहुत कुछ लिखा-पढ़ा जा चुका है। लेकिन कुछ बातें हैं जिनके बारे में कम ही बात हुई। मसलन भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों मणिपुर और नागालैंड में इस युद्ध के चलते हज़ारों जानें गईं। इस मोर्चे पर एक तरफ थीं जापानी फौजें और दूसरी ओर तत्कालीन ब्रिटिश फौज के भारतीय सिपाही। लेकिन इस लड़ाई के चलते जितने फौजी मरे उससे कई गुना ज़्यादा फौजी वहां के जंगलों में मलेरिया और पेचिश के चलते मरे। इस युद्ध से जुड़ी यादों को खंगालती है यह डॉक्यूमैंटरी जिसका नाम है ‘मैमोरीज़ ऑफ ए फॉरगॉटन वॉर’ यानी एक भुला दिए गए युद्ध की यादें।ओ.टी.टी. के विभिन्न मंचों के आने से यह फायदा तो ज़रूर हुआ है कि थिएटर तक न पहुंच सकने वाली बहुत सारी चीज़ें भी इन पर आने लगी हैं। यह डॉक्यूमैंटरी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया के नेशनल पैनोरमा वर्ग में दिखाई जा चुकी है। कई प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में शामिल रह चुकी है, ढेरों पुरस्कार पा चुकी है। लेकिन अगर कोई इसे देखना चाहे तो…? इसे मूवी सैंट्स पर रिलीज़ किया गया है। इस लिंक पर जाकर, थोड़े पैसे चुका कर इसे देखा जा सकता है। इस डॉक्यूमैंटरी के निर्देशक उत्पल बोरपुजारी दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं-एक बार फिल्म क्रिटिक के तौर पर और दूसरी बार अपनी बनाई असमिया फिल्म ‘इशु’ के लिए।
उत्पल और उनकी टीम की इस अंग्रेज़ी डॉक्यूमैंटरी को बनाने के लिए की गई मेहनत इसके हर एक फ्रेम में दिखाई देती है। उस युद्ध से जुड़े रहे लोगों या उनके परिवार वालों से मिलना, उनकी यादों को सहेजने, समेटने और कैमरे में कैद करने की उनकी मेहनत इस फिल्म को एक अलग ही दायरे में खड़ा करती है। निर्माता सुबिमल भट्टाचार्जी के साहस की भी तारीफ होनी चाहिए।
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज़ से घुमक्कड़। अपने ब्लॉग ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment.
© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment.