• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-मनोरंजन की दौलत है इस ‘लूटकेस’ में

Deepak Dua by Deepak Dua
2020/07/31
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-मनोरंजन की दौलत है इस ‘लूटकेस’ में
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

एक नेता ने अपने पाले हुए गुंडे के हाथों दूसरे नेता को दस करोड़ रुपए से भरा सूटकेस भेजा। उस सूटकेस में एक फाइल भी थी। रास्ते में दूसरे गैंग ने हमला कर दिया और सूटकेस गया छूट। देर रात की नौकरी से लौटते एक आम आदमी को वह मिला और वह उसे घर ले आया। अब नेता, उसके गुंडे, उसका पाला हुआ पुलिस वाला, दूसरे गैंग्स्टर के गुंडे, सब उस आदमी के पीछे पड़े हैं। और वह आदमी है कि उस पैसे के बारे में अपने बीवी-बच्चों को भी नहीं बता सकता।

कुछ महीने पहले आए इस फिल्म के ट्रेलर से ही इसकी कहानी साफ हो गई थी। मुझे दिलचस्पी थी यह जानने की इस कहानी को कैसे समेटा गया होगा क्योंकि इस किस्म की कहानियों को फैलाना तो आसान होता है लेकिन फैलावट में संतुलन बनाए रखना और अंत में उसे एक कायदे की जगह पर ले जाकर समेटने में बड़े-बड़े लोग फैल कर फेल हो जाते हैं। लेकिन यहां तारीफ करनी होगी इसे लिखने वाले कपिल सावंत और राजेश कृष्णन की, जिन्होंने इस कहानी में ‘फिल्मी’ मसाले डालने के बावजूद इसे एक ऐसे आम आदमी की आम-सी लगने वाली कहानी बनाए रखा जिसकी ज़िंदगी में किस्मत बड़े उतार-चढ़ाव लाती है। फिल्म जाते-जाते सीधी राह पर चलने का संदेश भी दे जाती है, कोई लेना चाहे तो।

हालांकि इसका लेखन कमियों से अछूता नहीं है। कॉमिक-कैपर स्टाइल में बनी होने के चलते इसकी ज़्यादातर कमियों को अनदेखा किया जा सकता है लेकिन कई जगह दृश्यों की सुस्ती अखरने लगती है। यह भी लगता है कि कुछ एक संवाद और चुटीले और कुछ एक सीक्वेंस और नुकीले हो सकते थे। बावजूद इसके यह फिल्म देखते हुए आपके मन में आगे आने वाली घटनाओं के बारे में जानने की उत्सुकता और चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कुराहट का बने रहना बताता है कि निर्देशक राजेश कृष्णन अपने काम में कामयाब रहे हैं। गैंग्स्टर बने विजय राज़ को हमेशा नेशनल ज्योग्राफिक चैनल की भाषा में और नेता बने गजराज राव के घुमा-फिरा कर धमकी देने के स्टाइल में अनूठापन है। इन दोनों ने अपना काम किया भी बखूबी है। काम तो खैर रणवीर शौरी, मनुज शर्मा, आकाश धबाड़े, विजय निकम, निलेश दिवेकर, सुमित निझावन, सचिन नायक, आर्यन प्रजापति जैसे सभी कलाकारों का बढ़िया है। कुणाल खेमू और रसिका दुग्गल की कैमिस्ट्री ज़बर्दस्त रही है। गीत-संगीत साधारण होते हुए भी फिल्म के मिज़ाज में फिट है। लोकेशन वास्तविक लगती हैं। कैमरा वर्क कहीं-कहीं नीरस दिखता है।

एक आम आदमी की ज़िंदगी में अचानक आए एक बड़े बदलाव की इस आम-सी लगने वाली कहानी में इतना मनोरंजन तो है ही कि इसे पूरे परिवार के साथ हंसते-मुस्कुराते, पीते-खाते देखा जा सके। डिज़्नी-हॉटस्टार पर मिल जाएगी यह फिल्म।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-31 July, 2020

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: aakash dabhadearyan prajapatidisney hotstargajraj raokunal khemulootcase reviewmanuj sharmanilesh diwekarrajesh krishnanranvir shoreyrasika duggalsumit nijhawanvijay nikamvijay raaz
ADVERTISEMENT
Previous Post

रिव्यू-अमेज़िंग ‘शकुंतला देवी’ की नॉर्मल कहानी

Next Post

रिव्यू-चरमराते रिश्तों का सस्पैंस सुलझाती ‘रात अकेली है’

Related Posts

रिव्यू-‘चोर निकल के भागा’ नहीं, चल कर गया
CineYatra

रिव्यू-‘चोर निकल के भागा’ नहीं, चल कर गया

रिव्यू-कहानी ‘कंजूस’ मनोरंजन ‘मक्खीचूस’
CineYatra

रिव्यू-कहानी ‘कंजूस’ मनोरंजन ‘मक्खीचूस’

वेब-रिव्यू : फिर ऊंची उड़ान भरते ‘रॉकेट बॉयज़ 2’
CineYatra

वेब-रिव्यू : फिर ऊंची उड़ान भरते ‘रॉकेट बॉयज़ 2’

वेब-रिव्यू : किस का पाप है ‘पॉप कौन’…?
CineYatra

वेब-रिव्यू : किस का पाप है ‘पॉप कौन’…?

रिव्यू-दमदार नहीं है ‘मिसेज़ चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ का केस
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-दमदार नहीं है ‘मिसेज़ चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ का केस

रिव्यू-रंगीन चश्मा लगा कर देखिए ‘तू झूठी मैं मक्कार’
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-रंगीन चश्मा लगा कर देखिए ‘तू झूठी मैं मक्कार’

Next Post
रिव्यू-चरमराते रिश्तों का सस्पैंस सुलझाती ‘रात अकेली है’

रिव्यू-चरमराते रिश्तों का सस्पैंस सुलझाती ‘रात अकेली है’

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – [email protected]

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment.

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment.