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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-‘कुंग फू योगा’-चीनी माल, नो गारंटी

Deepak Dua by Deepak Dua
2017/02/03
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-‘कुंग फू योगा’-चीनी माल, नो गारंटी
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

सदियों पहले खो चुका एक बेशकीमती खजाना। उसकी तलाश में कुछ लोग। खजाने के मालिकों के वंशज और पुरातत्वविद चाहते हैं कि यह खजाना विश्व की धरोहर बने। वहीं सदियों पहले उस खजाने के मालिक पर हमला करने वालों के वंशज इसे हथियाना चाहते हैं।

वाह, क्या कहानी है। ‘ममी’ सीरिज वाली फिल्में याद आईं? रहस्यमयी जगहें, भव्य इतिहास, आज के लोगों की जुगत, स्पेशल इफैक्ट्स, एक्शन, इमोशन और बीच-बीच में थोड़ा रोमांस व कॉमेडी। अरे भाई लोगों, भारत-चीन वाले मिल कर फिल्म बना रहे थे तो कम से कम कहानी तो दमदार चुन लेते। चलिए, अब जो चुन लिया तो चुन लिया लेकिन उसे भी जानदार तरीके से नहीं फिल्मा सके तो क्या फायदा इस मेलजोल का?

जैकी चेन जिस फिल्म में हों तो वहां कुंग फू का होना स्वाभाविक है और जरूरी भी। साथ ही जैकी के एक्शन में कॉमेडी भी हमेशा रहती आई है जिसमें मारधाड़ तो होती है लेकिन कोई मरता नहीं है, किसी का खून नहीं बहता। यहां पहले एक हीरे और फिर उसके जरिए एक छिपे खजाने की खोज में चीन से लेकर दुबई और फिर राजस्थान में अच्छे और बुरे लोग भिड़ रहे हैं। इस भिड़ंत में मारधाड़ है, कार-चेजिंग है और खूब सारा रोमांच भी। पर यह सब आपको पूरी तरह से बांध कर रख पाने में नाकाम रहता है। एक अच्छी कहानी और उस पर एक कसी हुई स्क्रिप्ट का अभाव बार-बार महसूस होता है। मगध (आज के बिहार) के राजा अपने हमलावरों से बचने के लिए चीन की तरफ गए होंगे, समझ में आता है। लेकिन सदियों बाद उस राजा और उस हमलावर, दोनों के ही वंशज जयपुर में रह रहे होंगे, यह अजीब है। असल में अपने बिहार में आंखों को लुभाने वाली ऐसी लोकेशंस कहां हैं जो राजस्थान में हैं। भारत दिखाते समय इन परदेसियों को हमेशा साधु बाबा और जादूगर ही क्यों दिखते हैं? रही फिल्म के नाम की बात, तो फिल्म में कुंग फू ही छाया हुआ है, योगा का सिर्फ जिक्र भर है। और हां, जिस तरह से फिल्म अचानक खत्म हो जाती है, वह न सिर्फ चुभता है, ठगता भी है।

जैकी चेन इस उम्र में भी शानदार एक्शन करते हैं। सोनू सूद सिर्फ अच्छी-अच्छी पोशाकें ही बदलते रह गए। उन्हें कायदे का रोल ही नहीं मिला जो उनकी खलनायिकी को उभार पाता। दिशा पटानी और अमायरा दस्तूर समेत बाकी लड़कियां खूबसूरत दिखने की खानापूर्ति करती रहीं। बाकी कलाकारों का काम भी साधारण ही रहा।

वैसे फिल्म पूरी तरह से पैदल भी नहीं है। कुंग फू के करतब रोमांचित करते हैं। कार-चेजिंग के सीन लुभाते हैं। लेकिन यह इतने तेज-रफ्तार भी हैं कि मजा लेने से पहले ही गायब भी हो जाते हैं। हल्की-फुल्की कॉमेडी आपके होठों पर मुस्कुराहट भी लाती है। शानदार लोकेशंस, भव्य सैट, जबर्दस्त कम्प्यूटर ग्राफिक्स, जैकी चेन का बॉलीवुड डांस जैसी काफी सारी चीजें हैं जो आंखों को सुकून देती हैं। लेकिन यह सब उस चीनी माल की ही तरह है जो ऊपर से तो चमकीला होता है मगर ज्यादा देर तक टिक नहीं पाता। हां, बच्चों को यह खोखली चमक-दमक पसंद आ सकती है।

अपनी रेटिंग-ढाई स्टार

Release Date-03 February, 2017

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: Amyra Dasturdisha pataniJackie ChanKung Fu Yogakungfu yoga reviewMiya Muqisonu soodStanley Tongकुंग फू योगा
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