• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-दिमाग का दही करती ‘डियर ज़िंदगी’

Deepak Dua by Deepak Dua
2016/11/25
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-दिमाग का दही करती ‘डियर ज़िंदगी’
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

अरे, गौरी शिंदे की फिल्म है ‘डियर जिंदगी’। कौन गौरी शिंदे? वही ‘इंग्लिश विंग्लिश’ वाली। वाह, तब तो जरूर मजा आएगा इस फिल्म को देखने में। उनकी पिछली फिल्म में क्या बढ़िया तो कहानी थी और कितने खूबसूरत ढंग से उसे पेश किया गया था। तो चलें ‘डियर जिंदगी’ देख आएं…?

जरा रुकिए, जिस तरह से हर चमकती चीज सोना नहीं होती उसी तरह से यह भी जरूरी नहीं कि हर शानदार फिल्म के डायरेक्टर की अगली फिल्म भी उतनी ही अच्छी ही हो। हमने और आपने यह गलती कई बार की है। सो, जरा सोच-समझ कर आगे बढ़िएगा क्योंकि छलने के लिए इस फिल्म में बहुत कुछ है।

खाते-पीते, आधुनिक सोच वाले अमीर घर की अपने पैरों पर खड़ी, मुंबई में अकेले रह कर फिल्मों इंडस्ट्री में काम कर रही एक खूबसूरत, बिंदास लड़की। काफी भावुक किस्म की यह लड़की बहुत जल्दी दूसरों से रिश्ते बना बैठती है और उनके दूर जाने पर टूट भी जाती है। उसकी यही उलझन उसे ले जाती है एक ‘दिमाग के डाॅक्टर’ के पास जो उसकी उलझनें सुलझाने में मदद करता है।

फिल्म की कहानी बुरी नहीं है। जिंदगी की भागदौड़ में बच्चों और उनके पेरेंट्स के बीच आने वाली दूरियां कैसे उनके जेहन में खरोंच बन कर अटक जाती हैं, कैसे ये लोग गैरों में अपनापन तलाशते हैं और न मिल पाने पर बिखरने लगते हैं। ये सब दिखाते हुए फिल्म इसका हल भी बताती है कि अपनी बीते हुए कल की परछाईं को अपने आज पर लादे-लादे मत घूमो। लेकिन इस फिल्म के साथ दिक्कत यही है कि यह सब बहुत ही लंबी भाषणबाजी के साथ दिखाया-बताया-समझाया गया है। कहानी छोटी-सी है लेकिन वह चले जा रही है, चले जा रही है। बातें हैं कि खत्म ही नहीं हो रहीं। बक-बक-बक, पक-पक-पक, टॉक-टॉक-टॉक… कानों में दर्द होने लगता है। और ऊपर से फिल्म की लंबाई…उफ्फ… ढाई घंटे…! कई जगह बेहद पकाऊ और अझेल हो जाती है यह।

आलिया भट्ट के लिए इस तरह का रोल करना मुश्किल नहीं था। ‘हाईवे’ में भी वह कुछ ऐसे ही किरदार में थीं, सो वह जंचती हैं। वैसे भी आलिया अपने हर कदम के साथ निखरती जा रही हैं। शाहरुख अपनी सहजता से लुभाते हैं। बाकी लोग ठीक-ठाक रहे हैं। गीत-संगीत भी ठीक ही है। हां, गोआ की खूबसूरती को यह फिल्म बहुत उम्दा ढंग से दिखाती है।

फिल्म के एक सीन में दिमाग के डॉक्टर बने शाहरुख खान बताते हैं कि एक बार उन्हें दो घंटे तक इटेलियन ओपेरा झेलना पड़ा था जो न उन्हें समझ आ रहा था न पसंद, लेकिन खुद को इंटेलेक्चुअल दिखाने के लिए उन्हें उसे पसंद करने की एक्टिंग करनी पड़ी थी। यह फिल्म भी वैसी ही है। क्योंकि यह बड़े नाम वालों की, चमक बिखेरती, इंटेलेक्चुअल किस्म की कहानी पर बनी फिल्म है तो आपको भी इसे देखते हुए खुद को इंटेलेक्चुअल तो दिखाना ही होगा। यह एक्टिंग कर सकें तो जाइए, देखिए इसे। पर अगर आपके दिमाग का दही हो जाए तो हमें मत कहिएगा।

अपनी रेटिंग-दो स्टार

Release Date-25 November, 2016

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: Alia BhattDear Zindagi ReviewGauri ShindeShahrukh Khanडियर जिंदगी
ADVERTISEMENT
Previous Post

रिव्यू-पड़िए ‘मोह माया’ में, बचाइए ‘मनी’

Next Post

रिव्यू-‘कहानी 2’ की कहानी में कितना दम…?

Related Posts

रिव्यू-मन में उजाला करते ‘सितारे ज़मीन पर’
CineYatra

रिव्यू-मन में उजाला करते ‘सितारे ज़मीन पर’

रिव्यू-खोदा पहाड़ निकला ‘डिटेक्टिव शेरदिल’
CineYatra

रिव्यू-खोदा पहाड़ निकला ‘डिटेक्टिव शेरदिल’

रिव्यू-चैनसुख और नैनसुख देती ‘हाउसफुल 5’
CineYatra

रिव्यू-चैनसुख और नैनसुख देती ‘हाउसफुल 5’

रिव्यू-भव्यता से ठगती है ‘ठग लाइफ’
CineYatra

रिव्यू-भव्यता से ठगती है ‘ठग लाइफ’

रिव्यू-‘स्टोलन’ चैन चुराती है मगर…
CineYatra

रिव्यू-‘स्टोलन’ चैन चुराती है मगर…

रिव्यू-सपनों के घोंसले में ख्वाहिशों की ‘चिड़िया’
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-सपनों के घोंसले में ख्वाहिशों की ‘चिड़िया’

Next Post
रिव्यू-‘कहानी 2’ की कहानी में कितना दम…?

रिव्यू-‘कहानी 2’ की कहानी में कितना दम…?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – dua3792@yahoo.com

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment