• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फिल्म/वेब रिव्यू

वेब-रिव्यू : दिल के छज्जे पे चढ़ेंगे, ‘बड़ा नाम करेंगे’

Deepak Dua by Deepak Dua
2025/02/09
in फिल्म/वेब रिव्यू
4
वेब-रिव्यू : दिल के छज्जे पे चढ़ेंगे, ‘बड़ा नाम करेंगे’
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

सोनी लिव पर आई नौ एपिसोड की इस वेब-सीरिज़ के पांचवें एपिसोड के अंत में जब नायक ऋषभ नायिका सुरभि से कहता है-‘मुझ से शादी कर लो प्लीज़’ तो उसकी आंखें नम होती हैं। यह सुनते हुए सुरभि की भी आंखें नम होती हैं। इस सीन को यहीं पॉज़ कर दीजिएगा और गौर कीजिएगा कि एक हल्की-सी नमी आपकी आंखों में भी होगी। अब याद कीजिएगा कि आपकी आंखें इससे पहले के एपिसोड्स में भी कुछ जगह पनियाई होंगी और ध्यान रखिएगा, अभी आगे भी आपकी आंखों में कई बार नमी आएगी। बल्कि कुछ एक बार तो यह नमी झरने का रूप भी लेना चाहेगी। जी हां, यह इस कहानी की ताकत है, उस सिनेमा की ताकत है जो ऐसी कहानी को आपके सामने इस तरह से लाता है कि आप, आप नहीं रहते बल्कि इस कहानी के किरदार हो जाते हैं, कभी मुंबई, कभी उज्जैन तो कभी रतलाम हो जाते हैं।

2020 का साल चल रहा है। रतलाम का ऋषभ मुंबई में रह कर पढ़ता है। उज्जैन की सुरभि भी वहीं होस्टल में रह कर पढ़ाई कर रही है। संयोग से ये दोनों मिलते हैं लेकिन इनके बीच तनातनी बनी रहती है। सुरभि के लिए ऋषभ अलीगढ़ी पायजामा है तो ऋषभ की नज़र में सुरभि पास्ता पर छिड़का हुआ पोहा। एक और संयोग होता है और ये दोनों एक घर में कैद हो जाते हैं क्योंकि बाहर लॉकडाऊन लग चुका है। कुछ अर्से बाद एक और संयोग होता है जब इन दोनों के परिवार इनका रिश्ता करने के लिए आपस में मिलते हैं। लेकिन बात खुल जाती है कि ये दोनों तो मुंबई में मिल चुके हैं, साथ रह चुके हैं। ज़ाहिर है कि अब दूध में खटाई पड़ चुकी है। तो अब हो पाएगा इनका रिश्ता…? या ये बगावत करेंगे…? या कुछ ऐसा कर जाएंगे कि अपना व अपनों का बड़ा नाम करेंगे…?

ज़मीन से जुड़ी प्यारी, भावुक, मनमोहक, पारिवारिक कहानियों को सिनेमा के पर्दे पर लाने के लिए ख्यात सूरज बड़जात्या व उनके राजश्री प्रोडक्शंस की तरफ से वेब-सीरिज़ के रूप में आए इस पहले प्रयास में दिल छू लेने वाली एक ऐसी कहानी आई है जो मादक है। ओ.टी.टी. का मैदान जिस किस्म की गंदगी और अश्लीलता दिखा कर बदनाम हो चुका है उस ज़हरीले माहौल को यह कहानी अपने अमृतत्व से पवित्र कर देती है। आप चाहें तो इसे देख कर हैरान हो सकते हैं क्या आज की आधुनिक युवा पीढ़ी के किरदारों को लेकर इस कदर मीठी, सुगंधित, शीतल कहानी बनाई जा सकती है जो हर उम्र के दर्शक को भीतर तक छुए, उसे इस कदर अपना बना ले कि दर्शक उसी का होकर रह जाए और बार-बार अपने मन में यह आरज़ू करे कि काश, इन किरदारों के साथ सब सही हो, काश ऐसा ही कुछ हमारे साथ भी हो। मन करे कि प्यार, दुलार, रिश्तों और मर्यादा की जो गंगा पर्दे पर बह रही है वह हमारे भीतर भी बहे। पवित्रता का जो अहसास इस कहानी में महक रहा है उसकी खुशबू से हमारा जीवन भी महक उठे।

ऐसा नहीं है कि इस सीरिज़ में कोई बिल्कुल ही नई, अनोखी या अद्भुत कहानी परोसी गई हो। लेकिन लिखने वालों ने इसे जिस अंदाज में लिखा है, वह ज़रूर अद्भुत है। इसे देखते हुए साफ महसूस होता है कि इसे बनाने वालों का मकसद ज़मीन से जुड़ी एक पारिवारिक कहानी को एक ऐसे ज़मीनी अहसास के साथ सामने लाना था जिसे देख कर दर्शकों को रिश्तों और रिश्तों की मर्यादाओं का न सिर्फ अहसास हो बल्कि उन पर उसका विश्वास भी मजबूत हो सके। सबसे पहले इस सीरिज़ को लिखने वालों को नमन जिन्होंने इसकी कहानी को सहज बनाए रखा और ऐसे किरदारों की रचना की जिन्हें देख कर ‘फिल्मीपन’ नहीं, ‘अपनापन’ महसूस होता है। यही कारण है कि आप इस सीरिज़ कि किसी न किसी किरदार में अपनी या अपनों की झलक देख सकते हैं।

नमन इस सीरिज़ के निर्देशक पलाश वासवानी को भी जिन्होंने अपनी कल्पनाशीलता से इस कहानी को आगे-पीछे ले जाते हुए इसकी रोचकता बरकरार रखी और कहीं भी इसके ताने-बाने न तो उलझने दिए और न ही ढीले पड़ने दिए। मुमकिन है शुरुआती कुछ मिनट या एक-डेढ़ एपिसोड तक यह सीरिज़ ज़्यादा असरदार न लगे लेकिन जैसे-जैसे यह आगे बढ़ती है इसकी खुमारी अपनी रंगत बिखेरने लगती है। धीमी आंच पर पक रहे किसी स्वादिष्ट पकवान की तरह इसकी मादक खुशबू आपको अपनी गिरफ्त में ले लेती है और पता ही नहीं चलता कि कब आप इस कहानी के और यह कहानी आपकी हो जाती है।

किरदारों की कास्टिंग ज़ोरदार है। किरदारों की खूबियों को भीतर तक समझ कर ऐसे-ऐसे कलाकारों को इसमें लिया गया है कि वे कलाकार नहीं बल्कि किरदार ही लगते हैं। ऊपर से इन कलाकारों ने इस कदर डूब कर अपने-अपने चरित्रों को पकड़ा है कि उनके लिए तालियां बजाने का मन होता है। ऋषभ बने रितिक घनशानी और सुरभि बनी आयशा कादुस्कर में तो आप अपनी, अपने बच्चों की झलक देख सकते हैं। कंवलजीत सिंह, अलका अमीन, जमील खान, दीपिका अमीन, राजेश तैलंग, अंजना सुखानी, राजेश जैस, चैत्राली गुप्ते, ज्ञानेंद्र त्रिपाठी, प्रियंवदा कांत, ओम दुबे, साधिका स्याल व अन्य सभी कलाकार अपने-अपने किरदारों के होकर रह जाते हैं। कह सकते हैं कि इन सभी कलाकारों की अभिनय-यात्रा में यह सीरिज़ एक बड़ा पड़ाव बन कर आई है।

लोकेशन, कैमरा, लाइट्स, सैट्स, कास्ट्यूम, बैकग्राउंड म्यूज़िक जैसे सभी तकनीकी पक्ष अपने बेहतरीन रूप में दिखाई देते हैं। कई जगह दृश्यों की भव्यता चकाचौंध करती है तो कहीं उनकी सादगी मन मोह लेती है। लेकिन कुछ भी गैर ज़रूरी नहीं लगता। इस सीरिज़ का एक और मजबूत पक्ष इसका गीत-संगीत है। गीतकार जूनो और संगीतकार अनुराग सैकिया ने मौजूदा वक्त के बेहद सुरीले और असरदार गीत बनाए हैं जो इस कहानी का हिस्सा बनते हुए दिल में उतरने का काम करते हैं। इस सीरिज़ के रोमांटिक गीत आपके दिल के छज्जे पर चढ़ जाते हैं तो शादी के मौके पर बजने वाला डांस-सॉन्ग ‘नैनों से चीटर बातों से स्वीटर, लगते हैं हम को हमारे बलमा…’ थिरकाता है। कृष्ण जन्माष्टमी पर आने वाला ‘मेरी राहों के सारे तू मझधार सजा देना, मैं जैसे ही डूबन लागूं तू उस पार लगा देना…’ तो फिल्म ‘लगान’ के ‘ओ पालनहारे…’ के बराबर जा खड़ा होता है। नमन इस सीरिज़ को बनाने वाले सूरज बड़जात्या को भी जिनके फिल्मी सफर में यह सीरिज़ किसी ध्रव तारे की तरह अडिग बनी रहेगी।

(इस वेब-सीरिज़ का ट्रेलर देखना चाहें तो इस लिंक पर क्लिक करें।)

इस सीरिज़ को देखें और महसूस करें कि जब किसी कहानी को देख कर मन सरल हो उठे, तरल हो उठे और भीतर का गरल नष्ट होने लगे तो यकीन मानिए वहां पर सिनेमा अपने सार्थकतम रूप में मौजूद होता है।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-07 February, 2025 on SonyLiv

(दीपक दुआ राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म समीक्षक हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के साथ–साथ विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, वेब–पोर्टल, रेडियो, टी.वी. आदि पर सक्रिय दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य भी हैं।)

Tags: alka aminanjana sukhanianurag saikiaayesha kaduskarBada Naam KarengeBada Naam Karenge reviewchaitrali guptedeepika amingyanendra tripathijameel khanjunokanwaljit singhomm dubeypalash vaswanipriyamvada kantrajesh jaisrajesh tailangrajshri productionsritik ghanshanis manasviSonyLivsooraj barjatyavidit tripathiweb reviewweb series
ADVERTISEMENT
Previous Post

रिव्यू-जेन ज़ी के लव-शव का स्यापा ‘लवयापा’

Next Post

रिव्यू-शेर नहीं ‘छावा’ ही निकली यह फिल्म

Related Posts

रिव्यू-चैनसुख और नैनसुख देती ‘हाउसफुल 5’
CineYatra

रिव्यू-चैनसुख और नैनसुख देती ‘हाउसफुल 5’

रिव्यू-भव्यता से ठगती है ‘ठग लाइफ’
CineYatra

रिव्यू-भव्यता से ठगती है ‘ठग लाइफ’

रिव्यू-‘स्टोलन’ चैन चुराती है मगर…
CineYatra

रिव्यू-‘स्टोलन’ चैन चुराती है मगर…

रिव्यू-सपनों के घोंसले में ख्वाहिशों की ‘चिड़िया’
CineYatra

रिव्यू-सपनों के घोंसले में ख्वाहिशों की ‘चिड़िया’

रिव्यू-दिल्ली की जुदा सूरत दिखाती ‘दिल्ली डार्क’
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-दिल्ली की जुदा सूरत दिखाती ‘दिल्ली डार्क’

रिव्यू-लप्पूझन्ना फिल्म है ‘भूल चूक माफ’
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-लप्पूझन्ना फिल्म है ‘भूल चूक माफ’

Next Post
रिव्यू-शेर नहीं ‘छावा’ ही निकली यह फिल्म

रिव्यू-शेर नहीं ‘छावा’ ही निकली यह फिल्म

Comments 4

  1. Dr. Renu Goel says:
    3 months ago

    Is bar fir se lajwab or bhut hi tikhi nazar se likha hua apka review dil ko chu gya
    👏👏

    Reply
    • CineYatra says:
      3 months ago

      बहुत सारा धन्यवाद

      Reply
  2. NAFEES AHMED says:
    3 months ago

    इस वेब सीरिज़ क़े लिए सिर्फ…. काव्य जगत क़े महान व्यक्ति श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी क़ी एक कविता की ये पंक्ति…..

    लीक पर वे चले जिनके चरण दुर्बल औऱ हारे हैँ…
    हमें तो अपनी यात्रा से बने अपने अनिर्मित पंथ प्यारे हैँ….

    वाकई कमाल की पारिवारिक वेबसीरिज औऱ ऊपर से दुआ जी का रिव्यु…. सुपर्ब….

    Reply
    • CineYatra says:
      3 months ago

      धन्यवाद बंधु

      Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – dua3792@yahoo.com

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment