-दीपक दुआ…
देश के चुनिंदा फिल्म समीक्षकों की संस्था ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ हर साल की तरह इस बार भी ‘क्रिटिक्स चॉइस अवार्ड’ देने जा रही है। इस बार होने जा रहे अवार्ड्स के लिए साल 2024 में सिनेमाघरों और विभिन्न ओ.टी.टी. मंचों पर रिलीज़ हुईं तमाम भारतीय भाषाओं की फिल्मों को क्रिटिक्स की कई टीमों ने देखा और कई राउंड्स के बाद उनमें से चुनिंदा फिल्मों व उनसे जुड़े लोगों को फाइनल में जगह मिली। इन फिल्मों को फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड के तमाम सदस्य अपनी-अपनी रैंकिंग दे रहे हैं जिनमें से सर्वश्रेष्ठ फिल्मों व उनसे जुड़े लोगों को 25 मार्च को मुंबई में होने वाले एक समारोह में पुरस्कृत किया जाएगा। मुमकिन है आप लोगों ने इनमें से कुछ फिल्में देखी हों, तो ज़रा बताएं कि आपकी नज़र में इनमें से किसे कौन-सा अवार्ड मिलना चाहिए-
बैस्ट फिल्म-
इस अवार्ड के लिए 10 फिल्मों में कड़ा मुकाबला है। ये हैं-हिन्दी की ‘अमर सिंह चमकीला’, ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’, ‘लापता लेडीज़’, मलयालम की ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’, ‘फैमिली’, ‘मंजुम्मल बॉयज़’, तमिल की ‘कोट्टुक्काली’, सिंहली-तमिल में बनी ‘पैराडाइज़’, बांग्ला की ‘पदातिक’ और गारो भाषा की ‘रैप्चर’। इनमें से किसी एक को बैस्ट फिल्म का पुरस्कार मिलेगा।
बैस्ट डायरेक्टर-
इस खिताब के लिए नामित हुए पांच लोगों में हिन्दी की ‘अमर सिंह चमकीला’ के इम्तियाज़ अली, ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ की शुचि तलाती, मलयालम की ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ की पायल कपाड़िया, ‘मंजुम्मल बॉयज़’ के चिदंबरम और गारो भाषा की ‘रैप्चर’ के निर्देशक डॉमिनिक संगमा के बीच टक्कर हो रही है।
बैस्ट एक्टर-
इस वर्ग में जिन पांच अभिनेताओं को नामांकित किया गया है वे हैं-हिन्दी की ‘अमर सिंह चमकीला’ के दिलजीत दोसांझ, ‘आई वॉन्ट टू टॉक’ के अभिषेक बच्चन, मलयालम की ‘आदुजीवितम-द गोट लाइफ’ के पृथ्वीराज सुकुमारन, तमिल की ‘कोट्टुक्काली’ के सूरी, बांग्ला की ‘माणिकबाबुर मेघ’ के अभिनेता चंदन सेन।
बैस्ट एक्ट्रैस-
इस अवार्ड के लिए हिन्दी की ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ की प्रीति पाणिग्रही, मलयालम की ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ की कणि कुश्रुति, ‘उल्लोझुक्कु’ की उर्वशी, तमिल की ‘कोट्टुक्काली’ की अन्ना बेन, सिंहली-तमिल में बनी ‘पैराडाइज़’ की दर्शना राजेंद्रन के बीच भिड़ंत हो रही है।
बैस्ट सपोर्टिंग एक्टर-
इस पुरस्कार के लिए जिन पांच अभिनेताओं को फाइनल में जगह मिली है वे हैं-‘चालचित्र एखोन’ (बांग्ला) के लिए अंजन दत्त, ‘किल’ (हिन्दी) के लिए राघव जुयाल, ‘लापता लेडीज़’ (हिन्दी) के लिए रवि किशन, ‘किष्किंधा कांडम’ (मलयालम) के लिए विजयाराघवन और सिंहली-तमिल में बनी ‘पैराडाइज़’ के लिए महेंद्र परेरा।
बैस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रैस-
मलयालम की ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ की अभिनेत्री दिव्या प्रभा, ‘उल्लोझुक्कु’ की पार्वती तिरुवोतु, हिन्दी की ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ की कणि कुश्रुति, ‘लापता लेडीज़’ की छाया कदम और तमिल की ‘कोट्टुक्काली’ की सई अभिनय के बीच इस अवार्ड को पाने के लिए मुकाबला होगा।
बैस्ट राइटिंग-
जिन पांच फिल्मों के लेखक इस अवार्ड के लिए आपस में टकरा रहे हैं, वे हैं- हिन्दी की ‘लापता लेडीज़’ के लेखक विप्लव गोस्वामी, मलयालम की ‘आट्टम’ के आनंद एकारशी, ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ को लिखने वाली पायल कपाड़िया, ‘मंजुम्मल बॉयज़’ के चिदंबरम और गारो भाषा की ‘रैप्चर’ को लिखने वाले डॉमिनिक संगमा।
बैस्ट सिनेमैटोग्राफी-
जिन पांच फिल्मों के कैमरावर्क को सबसे ज़्यादा सराहा गया और उनके डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी को इस वर्ग में नामांकन मिला, वे हैं- हिन्दी की ‘किल’ के रफी महमूद, मलयालम की ‘आदुजीवितम-द गोट लाइफ’ के सुनील के.एस., ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ के रणबीर दास, ‘मंजुम्मल बॉयज़’ के शायजु खालिद और गारो भाषा की ‘रैप्चर’ के टोजो ज़ेवियर।
बैस्ट एडिटिंग-
जिन पांच फिल्मों को बेहद कसी हुई मान कर इस वर्ग में नामित किया गया उनके संपादकों के नाम हैं- आरती बजाज-‘अमर सिंह चमकीला’ (हिन्दी), शिव कुमार वी. पाणिक्कर-‘किल’ (हिन्दी), विवेक हर्षन-‘मंजुम्मन बॉयज़’ (मलयालम), श्रीजित मुखर्जी-‘पदातिक’ (बांग्ला) और ए. श्रीकर प्रसाद-‘पैराडाइज़’ (सिंहली-तमिल)।
(दीपक दुआ राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म समीक्षक हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के साथ–साथ विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, वेब–पोर्टल, रेडियो, टी.वी. आदि पर सक्रिय दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य भी हैं।)