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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-‘क्रेज़ी’ किया रे…

Deepak Dua by Deepak Dua
2025/02/28
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-‘क्रेज़ी’ किया रे…
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-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

पहले ‘शिप ऑफ थीसियस’, फिर ‘तुम्बाड़’ और अब यह फिल्म ‘क्रेज़ी’-इतना तो साफ है कि बतौर निर्माता सोहम शाह जो कर रहे हैं उसे एक शब्द में कहा जाए तो वह होगा-दुस्साहस। जब बनाने वाले को दो और दो मिला कर पांच न करने हों, जब उसे टिकट-खिड़की के आंकड़ों की परवाह न हो तो ही वह कुछ हट के वाला सिनेमा बना पाता है। ‘क्रेज़ी’ (Crazxy) इस का ताज़ा उदाहरण है।

किसी को पांच करोड़ रुपए देने जा रहे डॉक्टर अभिमन्यु सूद को फोन आता है कि उसकी बेटी किडनैप कर ली गई है और फिरौती की रकम है-पूरे पांच करोड़। वही बेटी जिसे अभिमन्यु ने कभी जी भर कर निहारा तो दूर, स्वीकारा तक नहीं। वही बेटी जो अभिमन्यु की तलाकशुदा पत्नी के पास रहती है। इधर अभिमन्यु की ज़िंदगी दांव पर है। उधर उसकी तलाकशुदा पत्नी अपनी बेटी को बचाने के लिए मिन्नतें कर रही है। वहीं उसकी प्रेमिका उसे इस झमेले से दूर रहने को उकसा रही है। लेकिन इस चक्रव्यूह में फंस चुका अभिमन्यु तय करता है कि वह अब भेजे की नहीं सुनेगा क्योंकि भेजे की सुनेगा तो…!

इस फिल्म (Crazxy) को लिखने-बनाने वाले गिरीश कोहली ने इसे जिस किस्म का कलेवर दिया है, वह अनोखा है और इस मायने में दुस्साहसिक है कि अपने यहां अधिकांश हिन्दी फिल्मों को इस तरह के खांचे में नहीं बनाया जाता है। पहले सीन में डॉक्टर पांच करोड़ रुपए से भरा बैग गाड़ी में रख कर निकलता है और उसके बाद पूरी फिल्म उसके और उसकी गाड़ी के इर्दगिर्द ही चलती दिखाई देती है। दूसरा अनोखापन यह कि पूरी फिल्म में पर्दे पर सिर्फ डॉक्टर दिखाई देता है और बाकी के लोग या तो तस्वीरों में दिखते हैं या वीडियो कॉल पर। लगातार चलती एक गाड़ी में एक शख्स और लगातार आते फोन कॉल्स इस कदर बांधे रखते हैं कि आप एक पल के लिए भी स्क्रीन से नज़रें नहीं हटा पाते। बतौर लेखक ‘केसरी’ के बाद यह गिरीश की एक और सफलता है।

(रिव्यू-निश्चय कर जीतने की कहानी कहती ‘केसरी’)

जहां बतौर लेखक गिरीश हमें एक ऐसे शख्स की उलझी हुई ज़िंदगी में लेकर जाते हैं जहां रिश्तों के प्रति संवेदनहीनता है, अपनी ही संतान के प्रति दुत्कार की भावना है, अपने काम के प्रति समर्पण है और बदले हालात के बाद खोई चेतना का अहसास है, वहीं बतौर निर्देशक गिरीश इस फिल्म (Crazxy) को एक ऐसी पैनी लुक देते हैं जो हमें कम ही देखने को मिलती है। शुरुआत से ही वह हमें श्रीराम राघवन के फ्लेवर वाले उस सिनेमाई संसार में ले जाते हैं जिसने ‘जॉनी गद्दार’, ‘अंधाधुन’, ‘मैरी क्रिसमस’ जैसी फिल्में हमें दी हैं। पहले ही सीन से फिल्म रफ्तार पकड़ती है और अपनी कहानी के तेवर व कैमरे की बाज़ीगरी से गिरीश कोहली हमें अपने बनाए चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकलने देते। एक थ्रिलर का अहसास देते हुए यह फिल्म अंत में आकर जब करवट लेती है तो भेजे के साथ-साथ दिल को भी झकझोर देती है।

इस फिल्म (Crazxy) में दो लोगों ने शानदार काम किया है। पहले हैं सोहम शाह जिन्होंने अपने किरदार की बेचैनी को दर्शकों तक कामयाबी से पहुंचाया है। दूसरा बढ़िया काम किया है डॉक्टर अभिमन्यु की रेंज रोवर कार ने। यह निर्देशक की खूबी कही जाएगी जिसने इस कार को भी एक किरदार में तब्दील कर डाला। बाकी के किरदारों की सिर्फ आवाज़ें सुनाई दी हैं और इन आवाज़ों में निमिषा सजायन, शिल्पा शुक्ला, पीयूष मिश्रा आदि ने गहरा प्रभाव छोड़ा है। सोहम शाह की बेटी के किरदार में उन्नति सुराना असरदार रहीं। गीत-संगीत फिल्म की कहानी में घुल-मिल कर इसके असर को ऊंचाई पर ले जाता है।  फिल्म ‘इंकलाब’ के ‘अभिमन्यु चक्रव्यूह में फंस गया है तू…’ और ‘सत्या’ के ‘भेजे की सुनेगा तो मरेगा कल्लू…’ के अलावा नायक द्वारा किए गए फोन काॅल्स की रिंगटोन तक कहानी में रल-मिल जाती है। लोकेशन, अद्भुत कैमरावर्क, बैकग्राउंड म्यूज़िक और कसा हुआ संपादन फिल्म को निखारता है।

अपनी लिखावट में कहीं-कहीं हौले-से लचकती यह फिल्म (Crazxy) अपनी तेज़ रफ्तार और मात्र डेढ़ घंटे की लंबाई के चलते इस तरह से कस कर बांधती है कि इसकी किसी कमी की तरफ ध्यान ही नहीं जाता। अपने सिनेमाई कलेवर से देखने वालों को क्रेज़ी करती है यह फिल्म। इसके नाम ‘क्रेज़ी’ (Crazxy) के अंग्रेज़ी स्पेलिंग्स में दिया एक एक्स्ट्रा एक्स (X) बताता है कि ज़िंदगी जब किसी को ऐसे चौराहे पर ले आए जहां इंसान को दिल और भेजे (दिमाग) में से किसी एक की सुननी हो तो उसे दिल की सुननी चाहिए क्योंकि भेजे की सुनेगा तो…!

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-28 February, 2025 in theaters

(दीपक दुआ राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म समीक्षक हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के साथ–साथ विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, वेब–पोर्टल, रेडियो, टी.वी. आदि पर सक्रिय दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य भी हैं।)

Tags: crazxycrazxy reviewgirish kohlinimisha sajayanPiyush Mishrashilpa shuklasohum shahtinnu anand
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