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Home फिल्म/वेब रिव्यू

वेब-रिव्यू : इंसानी फितरतों की उम्दा कहानी ‘काला पानी’

Deepak Dua by Deepak Dua
2023/10/23
in फिल्म/वेब रिव्यू
2
वेब-रिव्यू : इंसानी फितरतों की उम्दा कहानी ‘काला पानी’
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

2027 का साल। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में एक बड़ा मेला लगा है। लाखों लोग हैं इस टापू पर। बड़ी तादाद में सैलानी भारत की मुख्य भूमि से भी आए हैं। तभी यहां एक रहस्यमयी बीमारी फैल जाती है। यहां सप्लाई होने वाले पानी से फैली है यह बीमारी। किसने मिलाया है इस पानी में यह काला ज़हर? क्या एक बार फिर इंसानी लालच ने कुदरत की कोख उजाड़ने की कोशिश की है? क्या होगा यहां के लोगों का? और उन पर्यटकों का, जो यहां मौज-मस्ती करने आए थे लेकिन यहां के लॉकडाउन में फंस गए? क्या इस बीमारी का कोई इलाज नहीं? है, तो किसके पास? क्या कुदरत ही बचाएगी अपनी संतानों को?

अंडमान को हमेशा से ‘काला पानी’ की संज्ञा दी जाती रही है। ब्रिटिश हुकूमत की आंखों में चुभने वाले स्वतंत्रता सेनानी ‘सज़ा-ए-काला पानी’ के लिए पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल में भेजे जाते थे। यहां के पांच सौ से भी अधिक टापुओं में से कुछ पर ही इंसानी आबादी रहती है। इनमें से भी कई टापुओं पर सिर्फ वहां के मूल आदिवासी ही रहते हैं। आधुनिक सुविधाओं से परे ये आदिवासी प्रकृति की गोद में आज़ादी और सुकून से रहते हैं जबकि हम जैसे ‘आधुनिक’ लोग तमाम मुश्किलों और बीमारियों से जूझते रहते हैं। यह सीरिज़ दिखाती है कि कैसे ये आदिवासी मां प्रकृति के लाड़ले हैं और कैसे इन्हीं लोगों के कारण धरती का संतुलन बना हुआ है।

ओ.टी.टी. मंचों की बढ़त ने इतना तो किया है कि कभी जिन कहानियों को सोचा भी नहीं जाता था, अब उन पर फिल्में और सीरिज़ बन कर आने और पसंद की जाने लगी हैं। वरना अंडमान की पृष्ठभूमि पर अपने सिनेमा में हम लोग भला कहां कुछ देख पाते थे? वैसे भी अंडमान कितना खूबसूरत है, इसका अहसास सिर्फ उसे ही हो सकता है जो वहां होकर आया हो। इसी खूबसूरत अंडमान में मौजूद पीने के पानी में ही अगर किसी बीमारी के विषाणु आ जाएं तो लोग कैसे जी पाएंगे? कैसे मुकाबला कर पाएंगे? कैसे जीत पाएंगे? इस कहानी को लिखने वालों ने तो सराहनीय काम किया ही है, उसमें किस्म-किस्म के किरदार, उन किरदारों की बैक-स्टोरी और उनके आपस में संबंध स्थापित करके कहानी को जिस तरह का विस्तार दिया गया है, उसके लिए भी ये लेखक सराहना के हकदार हैं। हां, यह ज़रूर है कि हर एपिसोड को लंबा खींचने और कई जगह बैक-स्टोरी में कहीं बेवजह की कमी तो कहीं बेवजह की बढ़त दिखाने से मामला थोड़ा कमज़ोर हुआ है। कुछ एक किरदारों को खड़ा करने में भी हल्की चूक हुई है और कुछ तार्किक गलतियां भी कोई जागरूक दर्शक पकड़ लेगा। बावजूद इसके यह सीरिज़ अपने लक्ष्य तक बिना रुके, बिना थके चलती रहती है और न सिर्फ विभिन्न किरदारों और उनकी कहानियों को आपस में जोड़ते हुए दर्शकों की उत्सुकता बरकरार रखती है बल्कि उन किरदारों की प्रवृतियों को वक्त के साथ बदलते हुए दिखा कर इंसानी फितरतों को भी सामने लाती है। अंत में उम्मीद जगा कर अगले सीज़न के लिए रास्ता खुला रखने की मजबूरी हमारे फिल्मकारों के साथ न हो तो ये लोग एक सीज़न में भी पूरी कहानी दिखा सकते हैं।

अंडमान की लोकेशन, कैमरे की कारीगरी और इनसे भी बढ़ कर बैकग्राउंड म्यूज़िक की जम कर तारीफ होनी चाहिए। अमय वाघ, आरुषि शर्मा, आराध्या, आशुतोष गोवारीकर, राधिका मेहरोत्रा, डिंपी मिश्रा, राजेश खट्टर, वीरेंद्र सक्सेना, मोना सिंह, सुकांत गोयल, विकास कुमार, धनीराम प्रजापति जैसे सभी कलाकारों ने उम्दा अभिनय किया है। अमित गोलानी और समीर सक्सेना का निर्देशन तारीफें चाहता है।

एक बढ़िया कहानी को एक नए परिवेश में पूरी शिद्दत से कहने वाली नेटफ्लिक्स पर आई इस सीरिज़ को देखा जाना चाहिए, हो सके तो इससे सबक भी लिए जाने चाहिएं।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-18 October, 2023 on Netflix

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

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Comments 2

  1. Dr.Renu Goel says:
    2 years ago

    Series ki tarh apke reviews bhi padne layak hote h
    Bhut hi bdia👏👏👏👏

    Reply
  2. NAFEESH AHMED says:
    2 years ago

    एक बहुत ही अच्छे विषय पर यह सीरीज़ बनाई गई है… रिव्यु को पढ़ने से लगता है कि इस सीरीज़ को देखना तो बामता ही है…

    Reply

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