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Home फिल्म/वेब रिव्यू

डॉक्यूमेंट्री रिव्यू-इंसाफ की बात करती राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त ‘जस्टिस डिलेयड बट डिलीवर्ड’

Deepak Dua by Deepak Dua
2022/07/24
in फिल्म/वेब रिव्यू
1
डॉक्यूमेंट्री रिव्यू-इंसाफ की बात करती राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त ‘जस्टिस डिलेयड बट डिलीवर्ड’
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-दीपक दुआ…

1957 का साल था। जम्मू-कश्मीर में सफाई कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी। तब वहां के ’प्रधानमंत्री’ बक्शी गुलाम मोहम्मद ने नागरिकता व सुविधाएं देने के ढेरों वादे करके पंजाब से वाल्मिकी समुदाय के लोगों को आमंत्रित किया। बरसों बीत गए लेकिन इन लोगों को स्थाई निवासी का दर्जा नहीं मिला जिसके चलते न ये लोग वहां ज़मीन खरीद पाते, न कोई व्यापार कर पाते, न बैंक इन्हें लोन देते और न ही कहीं इन्हें नौकरी मिलती। बस, एक ही काम ये लोग कर सकते थे-सफाई कर्मचारी का काम।

फिर आई 5 अगस्त, 2019 की तारीख। सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35-ए को हटा दिया। कहा गया कि यह स्त्री-विरोधी, दलित-विरोधी और आतंकवाद की वजह भी है। जल्द ही इसके परिणाम दिखने लगे। 62 वर्षों से अधर में लटक रहे इन सफाई कर्मचारियों को भी जम्मू-कश्मीर का निवासी माना गया जिससे इनके बच्चों के आगे बढ़ने के रास्ते खुल गए। जम्मू-कश्मीर की लड़कियों के राज्य से बाहर शादी कर लेने पर जायदाद से उनका अधिकार हट जाता था लेकिन अब यह भी खत्म हुआ। इसी विषय पर निर्माता मनदीप चौहान और निर्देशक कामाख्या नारायण सिंह ने एक डॉक्यूमेंट्री बनाई ’जस्टिस डिलेड बट डिलिवर्ड’ जिसे साल 2020 के लिए नॉन-फीचर श्रेणी में ’सामाजिक विषयों पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म’ का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है।

हिन्दी में बनी महज 14 मिनट की यह डॉक्यूमेंट्री कम समय में ही असरदार बात कह जाती है। हरदीप की रिसर्च और स्क्रिप्ट इसकी पुख्ता नींव है और कैमरा, संगीत, संपादन इसे चुस्त बनाते हैं। मलूक सिंह के ड्रोन शॉट्स असर बढ़ाने का काम करते हैं। ‘भोर’ बना चुके कामाख्या की यह फिल्म 2020 के भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह, गोआ के इंडियन पैनोरमा खंड का हिस्सा भी रह चुकी है। इसे देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें।

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: documentarydocumentary reviewjustice delayed but delievered reviewkamakhya narayan singhnational film award 2020
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Comments 1

  1. Rakesh Om says:
    3 years ago

    भाईसाब, अभी देखी ये फ़िल्म, बहुत ही सादगी से बहुत बड़ी बात कह दी इस फ़िल्म ने! 👏 जय हिन्द 🇮🇳👏👏

    Reply

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