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Home फिल्म/वेब रिव्यू

ओल्ड रिव्यू-हम हैं राही बे-कार के

Deepak Dua by Deepak Dua
2013/05/24
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
ओल्ड रिव्यू-हम हैं राही बे-कार के
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-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

इस फिल्म ‘हम हैं राही कार के’ का नाम सुनते ही याद आती है आमिर खान-जूही चावला वाली रोमांटिक-कॉमेडी ‘हम हैं राही प्यार के’। उस फिल्म की तरह यह फिल्म भी एक रोमांटिक-कॉमेडी ही है। फिर इसके निर्माता-निर्देशक ज्योतिन गोयल इससे अपने बेटे देव को लांच कर रहे हैं। यानी उम्मीद की जा सकती है कि यह एक अच्छी फिल्म होगी। यही सब सोच कर मैंने भी बड़े अरमानों के साथ थिएटर की तरफ कदम बढ़ाए थे। पर मत पूछिए कि क्या-क्या न सहा हमने उस अंधेरे में। खुद के फिल्म समीक्षक होने और हर ऐरी-गैरी फिल्म को देखने की मजबूरी पर जो गुस्सा आया, वह अलग।

एक लड़का और एक लड़की। एक साथ एक ही कार में निकले हैं मुंबई से पुणे के लिए। इस छोटे-से सफर में उन्हें टकराते हैं कई दिलचस्प किरदार और होती हैं कई रोचक घटनाएं। अब इस तरह की कहानी पर कोई चाहे तो कमाल की क्रिस्पी फिल्म बना सकता है-चटपटी, मसालेदार और मनोरंजन से भरपूर। लेकिन यह फिल्म जिस तरह की बनी है उसे देख कर लगता ही नहीं कि एक बाप ने अपने बेटे से रिश्ता निभाने के लिए इसे बनाया है। लगता है जैसे ज्योतिन ने अपने बेटे के सिर से एक्टिंग का भूत उतारने के लिए इतनी खराब फिल्म बनाई है।

न तो कहानी बुरी है और न ही वे घटनाएं जो इस एक रात में होती हैं। दिक्कत यह हुई है कि ‘हम हैं राही कार के’ लेखक पापा की इमेजिनेशन पॉवर ने उन्हें धोखा दे दिया और वह बस किसी तरह से पन्ने काले करते चले गए। रही-सही कसर डायरेक्टर पापा ने पूरी कर दी और फिल्म ऐसी बनाई कि पैट्रोल की जगह देसी घी भी डाल दो तो भी न चले।

अब ऐसा भी नहीं है कि फिल्म ‘हम हैं राही कार के’ पूरी तरह से पैदल है। कुछ एक जगह हंसी आती है। खासतौर से जूही चावला वाले सीक्वेंस में। लेकिन बनाने वालों ने फिल्म का ऐसा भट्ठा बिठाया है कि यह लुभाती कम और पकाती ज्यादा है।

देव गोयल पूरी फिल्म में कुछ इस अंदाज में नज़र आए जैसे किसी ऑफिस में वहां के मालिक का बेटा नज़र आता है। प्रोड्यूसर-डायरेक्टर अगर पिता हों तो इसका मतलब यह तो नहीं कि बबुआ जो चाहे करेगा और उसे कोई रोकेगा भी नहीं? हीरोइन अदा शर्मा काफी कमज़ोर अदाकारा हैं। अनुपम खेर, संजय दत्त, जूही चावला, रति अग्निहोत्री जैसे कलाकार सिर्फ दोस्ती निभाने के लिए ऐसे कमज़ोर किरदारों में नज़र आए। चंकी पांडेय चार-चार रोल में दिखे… उफ्फ…! और हां, यह बात डायरेक्टर को शायद किसी ने नहीं कही होगी कि आपके हीरो-हीरोइन दोनों हल्के हैं तो क्यों क्लोज़ शॉट ले-लेकर उनकी पोल खोल रहे हैं आप?

पैसे और वक्त फालतू हों तो ही इसे देखने जाएं।

अपनी रेटिंग-डेढ़ स्टार

(नोट-मेरा यह रिव्यू इस फिल्म की रिलीज़ के समय किसी अन्य पोर्टल पर प्रकाशित हुआ था।)

Release Date-24 May, 2013

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के साथ–साथ विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, वेब–पोर्टल, रेडियो, टी.वी. आदि पर सक्रिय दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य भी हैं।)

Tags: adah sharmaanupam kherchunky pandeydev goelHum Hai Raahi Car KeHum Hai Raahi Car Ke reviewjuhi chawlajyotin goelrati agnihotrisanjay dutt
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