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Home यादें

यादें-1998 की वह पहली मुंबई यात्रा (भाग-3)

Deepak Dua by Deepak Dua
1998/08/22
in यादें
1
यादें-1998 की वह पहली मुंबई यात्रा (भाग-1)
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-दीपक दुआ…

मुंबई में हम फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े अपने विभिन्न परिचितों को लगातार फोन कर रहे थे। मकसद यही था कि अधिक से अधिक लोगों से मिला जाए और अपना नेटवर्क बढ़ाया जाए।

(पिछला भाग पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें)

24 अगस्त, 1998 सोमवार की सुबह नाश्ता करने के बाद हम लोग ऑटो-रिक्शा से मलाड स्टेशन तो पहुंचे लेकिन ट्रेन न पकड़ कर हम स्टेशन के दूसरी तरफ मलाड पश्चिम चले गए जहां हमें फिल्म प्रचारक अनूप श्रीवास्तव से मिलना था। वहां से बस पकड़ हम लोग मिथ-चौकी नामक जगह पर पहुंचे। यहां स्थित ‘अंकल्स किचन’ नाम के एक रेस्टोरैंट में हम लोग अनूप जी से मिले। अनूप फिल्मों व फिल्मी हस्तियों के प्रचार के सिलसिले में अक्सर दिल्ली आते रहते थे। खासकर स्वर्गीय संगीतकार-गायक रवींद्र जैन का प्रचार-कार्य वही देखते थे। अनूप जी से मेरी दोस्ती अब पहले से भी प्रगाढ़ हो चुकी है। अब वह जयपुर के नाहरगढ़ किले के भीतर स्थित ‘जयपुर वैक्स म्यूज़ियम’ के मालिक हैं। ‘अंकल्स किचन’ में उन्होंने बेहद गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया, खिलाया-पिलाया।

हिंदुजा ग्रुप के ऑफिस में

यहां से निकल हम लोग बस से अंधेरी स्टेशन पहुंचे और वहां से एक ऑटो लेकर ‘इन टी.वी.’ के ऑफिस जा पहुंचे। हिंदुजा ग्रुप का ‘इन टी.वी.’ असल में कई शहरों में केबल टी.वी. नेटवर्क चलाता था। इसके दिल्ली स्थित प्रचारक आशीष कौल कुछ समय पहले मुंबई शिफ्ट हो चुके थे। दिल्ली में रहने के दौरान आशीष से मेरी गहरी दोस्ती हो गई थी जो आज तक कायम है। अब तक कई बड़ी कंपनियों में ऊंचे पदों पर काम कर चुके आशीष पत्रकारिता और लेखन में भी काफी नाम कमा चुके हैं। आज भी वह एक नामी कंपनी में काफी ऊंचे पद पर है और उनकी लिखीं ‘रिफ्यूजी कैंप’, ‘1967-कश्मीर का परमेश्वरी आंदोलन’, ‘दिद्दा-कश्मीर की योद्धा रानी’ जैसी किताबें काफी चर्चित हैं। लेकिन उस दिन वहां पहुंच कर पता चला कि आशीष किसी काम से बाहर हैं। अलबत्ता उनकी टीम ने हमारा स्वागत किया व हमें अगले दिन एक पार्टी में आने का निमंत्रण भी दिया। 

वीनस म्यूज़िक और इस्कॉन मंदिर

इसके बाद वहीं पास ही स्थित एक अखबार ‘भारत स्वराष्ट्र’ में विद्युत जी के एक मित्र से मिलने के बाद हम बस पकड़ कर मरोल जा पहुंचे। यहां स्टार टी.वी. के ऑफिस में कुछ लोगों से मिलने के बाद दो बसें बदल कर जब हम अंधेरी पश्चिम स्थित वीनस म्यूज़िक के दफ्तर में पहुंचे तो शाम हो चली थी। यहां वीनस के गणेश जैन जी से हमारी मुलाकात हुई। यहीं पर गायक-अभिनेता अरुण बक्शी भी मिल गए। उनसे हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि उनके गाए दस पंजाबी गीतों का अलबम ‘बोल मिट्टी दे बाव्या’ जल्द ही वीनस म्यूज़िक से आने वाला है और वह वहां उसी अलबम के बारे में चर्चा करने आए हुए हैं।

यहां से निकल कर हम पैदल ही पास में स्थित इस्कॉन मंदिर में जा पहुंचे। किसी इस्कॉन मंदिर में जाने का यह मेरा पहला अनुभव था। संयोग से उस समय वहां संध्या-आरती हो रही थी। मंदिर के अलावा हमने वहां स्थित इस्कॉन ऑडिटोरियम भी देखा जहां अक्सर फिल्मी कार्यक्रम भी होते थे और मुंबई के प्रचारक हमें वहां की खबरें भेजा करते थे। अब हमें बस पकड़ कर मलाड लौटना था और अगले दिन एक टी.वी. सीरियल की शूटिंग देखने जाना था जिसका न्यौता हमें आज दिन में स्टार टी.वी. वालों की तरफ से मिल चुका था।

(आगे पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें)

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए सिनेमा व पर्यटन पर नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: anoop srivastavaarun bakshiashish kaulhindujajaipur wax museummumbaimumbai 1998nahargarhvenus music
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Comments 1

  1. NAFEES AHMED says:
    10 months ago

    उम्दाह

    Reply

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