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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-रंगबिरंगी, मसालेदार, टाइमपास ‘भूल भुलैया 3’

Deepak Dua by Deepak Dua
2024/11/02
in फिल्म/वेब रिव्यू
3
रिव्यू-रंगबिरंगी, मसालेदार, टाइमपास ‘भूल भुलैया 3’
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-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

2007 की ‘भूल भुलैया’ तो ज़रूर याद होगी आपको। तर्क की कसौटी पर कसी हुई प्रियदर्शन निर्देशित वह फिल्म एक सायक्लोजिकल सस्पैंस-थ्रिलर थी जिसे आज हम हिन्दी की क्लासिक फिल्मों में गिनते हैं। उसके 15 साल बाद आई ‘भूल भुलैया 2’ को उस फिल्म के कंधे पर सवार होकर सिर्फ और सिर्फ इसलिए बनाया गया था ताकि नोट बटोरे जा सकें। वह फिल्म पिछली वाली का सीक्वेल नहीं बल्कि उसी कड़ी की एक फ्रेंचाइज़ी फिल्म थी जिसमें मंजुलिका को भूतनी दिखा कर लोगों को डराया और कुछ मसखरे जोड़ कर लोगों को हंसाया गया था। अनीस बज़्मी के निर्देशन में आई उस फिल्म को आज हम भले ही एक सफल फिल्म कहें लेकिन थी वह एक औसत दर्जे की मसाला फिल्म ही। अब अनीस के ही निर्देशन में आई यह ‘भूल भुलैया 3’ (Bhool Bhulaiyaa 3) भी ऐसी ही है-हॉरर और कॉमेडी का मसाला लपेट कर आई एक औसत फिल्म जो कुछ पल को हंसाएगी, डराएगी, नोट बटोरेगी मगर इज़्ज़त नहीं कमा पाएगी।

(रिव्यू-चमकती पैकिंग में मनोरंजन का ‘भूल भुलैया’)

‘भूल भुलैया 2’ ने दिखाया था कि भूत भगाने का दावा करने वाले फर्ज़ी रूह बाबा का सामना मंजुलिका के भूत से हो जाता है। अब ‘भूल भुलैया 3’ (Bhool Bhulaiyaa 3) में रूह बाबा को कुछ लोग रक्त गढ़ ले गए हैं ताकि वहां बंद मंजुलिका के भूत को भगा कर वह उस महल को बिकवाने में मदद करे। लेकिन रूह को क्या पता कि वहां एक नहीं बल्कि दो-दो मंजुलिका उसे टकरने वाली हैं।

अनीस बज़्मी जिस किस्म की फिल्में बनाते आए हैं उनमें ज़्यादा ज़ोर चटर-पटर वाले मसाले डाल कर फौरी एंटरटेनमैंट परोसने पर रहता है। इस कसरत में जब उन्हें अच्छा कंटैंट मिल जाता है तो वह बहुत शानदार फिल्में दे जाते हैं, नहीं तो उनकी फिल्में हल्का-फुल्का मनोरंजन तो दे ही जाती हैं। ‘भूल भुलैया 3’ (Bhool Bhulaiyaa 3) इसी कतार में है जो न तो बहुत डरा पाती है, न बहुत हंसा पाती है, न दिलों में बहुत गहरे उतर पाती है, न ही सिरों पर बहुत ऊंचे चढ़ पाती है। बस ठीक-ठाक सा टाइमपास मनोरंजन दे जाती है और फेस्टिवल सीज़न में जेबें भरे बैठे दर्शकों को थोड़ा हल्का कर जाती है। काफी नहीं है इतना?

एक छोटे कंकड़ जितनी कहानी पर किस्म-किस्म के मसालों से रंगा सूत लपेटते हुए लेखक आकाश कौशिक ने जो रंग-बिरंगा गोला तैयार किया है उसमें इतना दम तो है कि यह आपको फौरी तौर पर लुभा सके। बस, इतना आपने इस बार भी करना है कि न तर्क लगाना है, न दिमाग भिड़ाना है। निर्देशक अनीस बज़्मी अपनी फिल्मों में किस्म-किस्म के अतरंगी किरदारों की भीड़ जुटा कर एक भव्य रंग-बिरंगा माहौल बनाना जानते हैं। इस फिल्म (Bhool Bhulaiyaa 3) में भी उन्होंने यह काम बखूबी किया है। चलताऊ ही सही, कॉमेडी है और हल्का ही सही, हॉरर है। पिछवाड़े से बजता बैकग्राउंड म्यूज़िक दमदार है, मध्यप्रदेश के खूबसूरत ओरछा की लोकेशन जानदार है, सैट, कैमरा, वी.एफ.एक्स असरदार हैं। कुछ गैरज़रूरी सीन कट जाते तो फिल्म धारदार भी हो जाती। और हां, हर शब्द के पीछे ‘ओ’ लगा देने से भाषा बांग्ला नहीं हो जाती।

अंत में आने वाला एक ट्विस्ट फिल्म को रोचक बनाता है। किसी को वह ट्विस्ट भाएगा तो किसी को खिजा भी सकता है। नए-पुराने फ्लेवर वाले गाने हर बार की तरह अच्छे लगते हैं। हां, ‘मेरे ढोलना…’ में विद्या बालन से भरतनाट्यम की और माधुरी दीक्षित से कथक की ड्रैस में एक जैसा नृत्य कोरियोग्राफर चिन्नी प्रकाश ने क्यों करवाया, यह वही बता सकते हैं। वैसे विद्या और माधुरी, दोनों ने काम अच्छा किया है। कार्तिक आर्यन की एनर्जी लुभाती है, लेकिन उन्हें अक्षय कुमार की आत्मा को अपने शरीर से मुक्ति दे देनी चाहिए। बाकी कलाकारों में सब ठीक-ठाक ही रहे। तृप्ति को दर्शकों की आंखें तृप्त करने के साथ-साथ अपने किरदार की गहराई को भी मापना चाहिए, उन्हें ‘भूल भुलैया 4’ में बड़ी ज़िम्मेदारी निभानी होगी।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-01 November, 2024 in theaters

(दीपक दुआ राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म समीक्षक हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के साथ–साथ विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, वेब–पोर्टल, रेडियो, टी.वी. आदि पर सक्रिय दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य भी हैं।)

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Comments 3

  1. Bharat kumar says:
    9 months ago

    मैंने कल ही यह फिल्म देखी थी और फिल्म देखने के बाद मेरे मन में सब से पहला सवाल यही था की फिल्म के हर अदाकार से कॉमिक प्ले करवाना जरूरी क्यों है?
    अगर हम भूल भुलैया 1 से इसकी तुलना करें तो उस फिल्म में बस अक्षय कुमार, परेश रावल, राजपाल यादव और राशिका जोशी ने ही कॉमिक प्ले किया था फिल्म के बाकी सारे पात्र काफी गंभीर स्वभाव के थे. जबकि दूसरी तरफ भूलभुलैया 3 के पात्रों को देख कर SONY SAB के कार्यक्रमों जैसे चिड़िया घर और लापता गंज की याद आती है.
    भूलभुलैया 1 के सभी गाने फिल्म की कहानी से इत्तफाक रखते थे, मगर इस बार गानों के फिल्म में प्रभाव बिना सर-पैर के बेजोड़ नज़र आता है.

    Reply
  2. B S BHARDWAJ says:
    9 months ago

    बिल्कुल सटीक और बेबाक समीक्षा दीपक भाई 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻

    Reply
    • CineYatra says:
      9 months ago

      आभार…

      Reply

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