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Home यादें

सिनेमाई ध्वजा का वाहक रहा 55वां इफ्फी

Deepak Dua by Deepak Dua
2024/11/29
in यादें
0
सिनेमाई ध्वजा का वाहक रहा 55वां इफ्फी

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-दीपक दुआ…

भारत के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित फिल्मी जमावड़े ‘इफ्फी’ यानी भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की ओर अब केवल भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया भर के सिने-प्रेमियों और सिने-कारोबारियों की निगाहें लगी रहती हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 1952 में शुरू हुआ इफ्फी पहले एक घुमंतू फिल्म समारोह हुआ करता था जो बारी-बारी से देश के अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाता था। लेकिन इसे एक स्थाई पहचान देने के उद्देश्य से 2004 में गोआ लाया गया और अब यह यहां ऐसी पुख्ता पहचान बना चुका है कि गोआ और इफ्फी एक-दूसरे के पर्याय हो चुके हैं। भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय की अगुआई और गोआ की राज्य सरकार के सहयोग से आयोजित किए जाने वाले इस समारोह में देश की ढेरों संस्थाओं का सहयोग शामिल रहता है। यही कारण है कि हर साल 20 से 28 नवंबर तक जब यह समारोह गोआ में आयोजित किया जाता है तो हजारों की संख्या में स्थानीय, देसी और विदेशी लोग इसमें उत्सुकता से सम्मिलित होने के लिए आते हैं।

रंगारंग शुरूआत

55वें इफ्फी की रंगारंग शुरूआत हर बार की तरह गोआ की राजधानी पणजी के बाहरी इलाके में स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम में हजारों लोगों की मौजूदगी में हुई। इस बार की एक खास बात यह भी रही कि केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव व राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन इफ्फी में नहीं आए बल्कि उन्होंने अपनी मौजूदगी एक वीडियो संदेश के माध्यम से दर्ज कराई। एक फिल्मी समारोह को राजनीति से परे रखने की कोशिश के तौर पर भी इसे देखा गया। गोआ के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत जरूर हर जगह एक परफैक्ट मेजबान की भूमिका में दिखाई दिए। नारियल के पौधे को पानी देकर उन्होंने इफ्फी का उद्घाटन किया व दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत नव-निर्माण के लिए अपनी जड़ों को सींचने वाला देश है। इस समारोह में उनके साथ आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर, इफ्फी के निदेशक शेखर कपूर, प्रसार भारती प्रमुख नवनीत कुमार सहगल, सेंसर बोर्ड प्रमुख प्रसून जोशी, सूचना-प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन अभिनेता अभिषेक बैनर्जी व अभिनेत्री भूमि पेडनेकर ने किया जिसमें अनेक फिल्मी हस्तियां मसलन सुभाष घई, राजकुमार राव, जयदीप अहलावत, बोमन ईरानी, जैकी भगनानी, रणदीप हुड्डा, रकुलप्रीत सिंह, आशुतोष गोवारिकर, जयम रवि, चिदानंद नाइक, प्रणिता सुभाष आदि मौजूद थे। इस अवसर पर उन चार फिल्मी हस्तियों-राज कपूर, तपन सिन्हा, अक्किनेनी नागेश्वर राव व मौहम्मद रफी पर डाक-टिकट भी जारी किए गए जिनकी इस समय जन्मशती मनाई जा रही है। साथ ही एक बड़े कदम के तौर पर प्रसार भारती के ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म ‘वेव्स’ को भी लांच किया गया जिस पर बेशुमार नए-पुराने कार्यक्रम, फिल्में आदि मुफ्त में मौजूद हैं।

दुनिया का सिनेमा      

इस बार के इफ्फी में दुनिया के 101 देशों से 1676 फिल्मों की एंट्री आईं जिनमें से 81 देशों की 180 फिल्मों को समारोह में दिखाने के लिए चुना गया। को-प्रोडक्शन मार्किट के तहत सात देशों की 21 फीचर फिल्में व आठ वेब-सीरिज चुनी गईं। इस साल के इफ्फी का ‘फोकस कंट्री’ ऑस्ट्रेलिया था जहां के डायरेक्टर माइकल ग्रेसी की फिल्म ‘बैटर मैन’ को इफ्फी की ओपनिंग फिल्म बनने का गौरव प्राप्त हुआ। चेक गणराज्य की फिल्म ‘ड्राई सीजन’ को समापन फिल्म के तौर पर दिखाया गया। अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड में 12 विदेशी व तीन भारतीय फिल्मों-‘आर्टिकल 370’, ‘आदुजीवितम’ व ‘राव साहेब’ को जगह मिली। निर्देशक की पहली फिल्म के खंड में पांच विदेशी व दो भारतीय फिल्में-‘जिप्सी’ व ‘35 चिन्ना कथा काड़ु’ शामिल रहीं। यूनेस्को-गांधी मैडल वाले खंड में सात विदेशी व तीन भारतीय फिल्मों-‘आमार बॉस’, ‘जुइ फूल’ व ‘श्रीकांत’ को स्थान मिला। इनके अतिरिक्त राइजिंग स्टार्स, फ्रॉम द फेस्टिवल्स, डॉक्यू-मोंटाज, एक्सपेरिमैंटल फिल्म्स, रीस्टोर्ड क्लासिक्स जैसे कई सारे खंडों में दुनिया भर से आई फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।

भारतीय सिनेमा की रंगत

पिछले एक साल में भारत में बनी चुनिंदा उत्कृष्ट फिल्मों को दिखाने वाले भारतीय पैनोरमा खंड में देश के विभिन्न हिस्सों से आईं 25 फीचर फिल्में दिखाई गईं। ओपनिंग फिल्म का दर्जा रणदीप हुड्डा अभिनीत व निर्देशित हिन्दी फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ को दिया गया। भारतीय पैनोरमा खंड में शामिल 20 गैर-फीचर फिल्मों में से ओपनिंग फिल्म का गौरव हर्ष संगानी की लद्दाखी भाषा में बनी ‘घर जैसा कुछ’ को दिया गया है। भारतीय निर्देशकों की पहली फिल्म के प्रतियोगिता खंड पांच फिल्में शामिल रहीं। वेब-सीरिज के प्रतियोगिता खंड में अलग-अलग भाषाओं की दस वेब-सीरिज शामिल की गईं। इनके अतिरिक्त भी विभिन्न खंडों में ढेरों भारतीय फिल्में दिखाई गईं जिनमें से कइयों का तो यहां प्रीमियर भी हुआ। राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय द्वारा रीस्टोर की गई कई पुरानी फिल्में भी इफ्फी में प्रदर्शित की गईं।

ढेरों चर्चाएं और मास्टर क्लास

हजारों की तादाद में देश-दुनिया से आए फिल्म-प्रेमियों, फिल्मकारों, कलाकारों, तकनीशियनों, सिनेमा के छात्रों, मीडिया के लोगों ने इस समारोह में ढेरों अनुभव हासिल किए। विधु विनोद चोपड़ा, अनुपम खेर, सेंथिल कुमार, मनीषा कोईराला, विक्रमादित्य मोटवानी, नागार्जुन, खुशबू सुंदर, मणिरत्नम, गौतम वासुदेव मैनन, रणबीर कपूर, राहुल रवैल, ए.आर. रहमान, नित्या मैनन, मनोज वाजपेयी, प्रसून जोशी, इम्तियाज अली, वाणी त्रिपाठी टिक्कू, अमीष त्रिपाठी, भरत बाला, सोनू निगम, सुभाष घई, अनुराधा पौडवाल, शर्मिला टैगोर, शेखर कपूर जैसी अनेक फिल्मी हस्तियों संग सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चाएं व मास्टर क्लास आदि का आयोजन हुआ। इनके अतिरिक्त बड़ी तादाद में विदेशी फिल्मकारो, कलाकारों व तकनीशियनों के साथ भी मास्टर क्लास आयोजित की गईं। साथ ही पी.आई.बी. ने इफ्फी परिसर में बड़ी संख्या में प्रैस-कांफ्रेंस का भी सफलतापूर्वक आयोजन किया जिनमें बीसियों देसी-विदेशी फिल्मी हस्तियों से सवाल-जवाब हुए।

फिल्म बाजार की धूम

इफ्फी के समानांतर राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम ‘फिल्म बाजार’ का आयोजन भी करता है जिसमें देसी-विदेशी लोगों को फिल्मों के कारोबार को समझने और उसमें अपनी जगह बनाने-तलाशने को प्रोत्साहित किया जाता है। बहुत सारे लोग तो केवल फिल्म बाजार में शामिल होने के लिए ही हर बरस गोआ आते हैं। यहां भी ढेरों फिल्मों का प्रर्दशन हुआ। रोजाना यहां किस्म-किस्म की वर्कशॉप, चर्चाएं, ओपन फोरम, विमोचन वगैरह भी हुए। साथ ही यहां विभिन्न राज्यों के पर्यटन विभागों ने भी अपने स्टाल लगाए ताकि वे फिल्म वालों को अपने यहां शूटिंग करने के लिए आमंत्रित कर सकें। मध्यप्रदेश पर्यटन ने फिल्मी हस्तियों के लिए एक शानदार पार्टी का आयोजन एक रिसॉर्ट में किया जिसमें बहुत सारे लोग आए। ‘क्रिएटिव माईंड्स ऑफ टुमारो’ में अभी तक देश भर से 75 प्रतिभाओं को चुना जाता था लेकिन इस बार यह संख्या 100 कर दी गई व उन्हें सिर्फ 48 घंटे में एक-एक फिल्म बनाने की चुनौती दी गई जिसे उन्होंने समय रहते पूरा भी किया। इनमें से ‘गुल्लू’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म, निर्देशक व अभिनेता के तीन पुरस्कार मिले।

लहरों पर फिल्मी हलचलें

2024 के इफ्फी (भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह) का एक बड़ा आकर्षण फिल्म निर्माताओं की संस्था ‘इम्पा’ की वह नौका भी रही जो गोआ की कला अकादमी के पीछे मांडवी नदी में मौजूद थी। इस अठखेलियां करते क्रूज पर चार दिन तक कई फिल्मों के ट्रेलर लांच और मास्टर क्लास आदि का आयोजन किया गया। इम्पा अध्यक्ष अभय सिन्हा ने बताया कि दुनिया के कई बड़े फिल्म समारोहों की तर्ज पर इम्पा ने इस बार के इफ्फी में यह पहल की है जिसे बहुत पसंद किया जा रहा है और इम्पा के इस क्रूज पर बहुत सारे देसी-विदेशी मेहमान और मीडिया के लोग लगातार आ रहे हैं।

पणजी में निकली ‘इफ्फी परेड’

वैसे तो हर साल ही इफ्फी के मुख्य परिसर लेकर कला अकादमी तक के लगभग एक किलोमीटर के रास्ते में किस्म-किस्म के स्टॉल, साज-सज्जा और रोशनियों के लुभावने नजारे देखने को मिलते हैं लेकिन 2024 के इफ्फी का एक बड़ा आकर्षण रही ‘इफ्फी परेड’। गोआ के विश्वप्रसिद्ध कार्निवाल की तर्ज पर निकाली गई इस परेड में कई फिल्मी दृश्यों की झांकियां, मॉडल आदि प्रदर्शित किए गए थे। कहीं पर ‘शोले’ की बसंती अपनी धन्नो के साथ मौजूद थी तो कहीं ‘बाहुबली’ अपने कंधे पर शिवलिंग धारण किए हुए था। इस परेड में किस्म-किस्म के नृत्यों का प्रदर्शन भी हो रहा था। कई घंटे तक चली इस इफ्फी परेड का आनंद सड़क के दोनों और से हजारों लोगों ने लिया।

बंटे ढेरों पुरस्कार

हर बार की तरह इफ्फी में इस बार भी ढेरों पुरस्कार और सम्मान वितरित किए गए। समारोह का प्रतिष्ठित सत्यजित रे लाइफटाइम अचीवमैंट अवार्ड ऑस्ट्रेलिया के फिल्मकार फिलिप नोएस को दिया गया। वर्ष की भारतीय फिल्मी हस्ती का पुरस्कार अभिनेता विक्रांत मैसी को दिया गया। अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड की 15 फिल्मों में से सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार लिथुआनिया की फिल्म ‘टॉक्सिक’ को, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का रोमानिया के बोगडन मुरेसानु को ‘द न्यू ईयर दैट नैवर केम’ के लिए, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ्रांस की फिल्म ‘होली काऊ’ के लिए क्लेमेंट फेवियु को और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार ‘टॉक्सिक’ के लिए वेस्टा और लीवा को संयुक्त रूप से दिया गया। स्पेशल जूरी अवार्ड ‘होली काऊ’ के निर्देशक लुई कूरवोसियर को दिया गया। निर्देशक की पहली सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार अमेरिकी फिल्मकार साराह फ्राइडलैंड को ‘फैमिलियर टच’ के लिए दिया गया। किसी भारतीय निर्देशक की पहली सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मराठी की ‘घरात गणपति’ के नवज्योत बंदीवाडेकर को मिला। बैस्ट वेब-सीरिज मराठी की ‘लंपन’ को ठहराया गया। यूनेस्को-गांधी मैडल लेवन अकिन की ‘क्रॉसिंग’ को दिया गया जो तीन भाषाओं में पांच देशों ने मिल कर बनाई थी। इनके अतिरिक्त निर्देशक रमेश सिप्पी व अभिनेत्री जया प्रदा को विशेष सम्मान प्रदान किया गया।

(दीपक दुआ राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म समीक्षक हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के साथ-साथ विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, वेब-पोर्टल, रेडियो, टी.वी. आदि पर सक्रिय दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य भी हैं।)

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