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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-संदेश और उपदेश ‘द सिग्नेचर’ में

Deepak Dua by Deepak Dua
2024/10/03
in फिल्म/वेब रिव्यू
3
रिव्यू-संदेश और उपदेश ‘द सिग्नेचर’ में
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-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

अरविंद और मधु अपनी शादी की 35वीं सालगिरह मनाने विदेश जा रहे हैं। अचानक मधु बीमार होकर वेंटिलेटर पर पहुंच जाती है। अरविंद जैसे-तैसे कर के अस्पताल के लाखों रुपए का बिल भर रहा है। लेकिन मधु के बचने की अब किसी को उम्मीद नहीं है, खुद इनके बेटे को भी नहीं। हर कोई चाहता है कि अरविंद उस फॉर्म पर सिग्नेचर कर दे जिसके बाद मधु का वेंटिलेटर हटा दिया जाएगा। लेकिन अरविंद का सवाल है कि मधु के मरने-न मरने का फैसला मैं क्यों लूं?

कुछ अलग-सी कहानी है ‘द सिग्नेचर’ (The Signature) की, संजीदा किस्म की। इस कहानी को लेखक गजेंद्र अहीरे ने फैलाया भी बहुत संजीदगी के साथ है। गजेंद्र के निर्देशन में भी उतनी ही संजीदगी दिखाई देती है। दरअसल यह 2013 में आई गजेंद्र की ही मराठी फिल्म ‘अनुमति’ का हिन्दी रीमेक है जिसमें विक्रम गोखले ने मुख्य भूमिका निभा कर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार पाया था। अब इस हिन्दी फिल्म में उसी भूमिका को अनुपम खेर ने निभाया है।

फिल्म ‘द सिग्नेचर’ (The Signature) कई तरह से अपनी बात रखती है। बुढ़ापे में अचानक बीमार हो गए लोगों के इलाज पर आने वाले बड़े खर्चे की, उनकी देखभाल की, उनके बच्चों की प्रैक्टिकल सोच की, अस्पताल वालों की लूट की, आपसी रिश्तों के खोखलेपन की। इन तमाम बातों को यह फिल्म कभी संवादों के ज़रिए तो कभी घटनाओं के द्वारा सामने लाती है और कई जगह असर भी छोड़ती है। खासतौर से इसके संवाद काफी प्रभावी हैं। लेकिन यही बात पूरी फिल्म के बारे में नहीं कही जा सकती।

दरअसल यह फिल्म (The Signature) कथ्य के स्तर पर जिस सोच को रखती है उसे एक सिनेमाई उत्पाद की शक्ल में उतनी मजबूती के साथ सामने नहीं ला पाती। इसके संवादों में प्रवचन और उपदेश का स्वर आता है, घटनाओं में इमोशंस नहीं उभर पाते, कुछ एक जगह को छोड़ कर इसके किरदारों से जुड़ाव नहीं हो पाता, और सबसे बड़ी बात यह कि पूरी फिल्म में एक नकारात्मक भाव तारी होने के साथ-साथ इसकी कम दर्जे की प्रोडक्शन वैल्यू इसे ऊपर नहीं उठने देती।

अनुपम खेर का अभिनय बेहद प्रभावशाली है। उन्हें देख कर अभिनय का पाठ पढ़ा जा सकता है। मुमकिन है इस भूमिका का दम देख कर ही उन्होंने इस फिल्म का सह-निर्माता बनने का फैसला लिया हो। बाकी के कलाकार-अन्नू कपूर, नीना कुलकर्णी, मनोज जोशी, रणवीर शौरी आदि कम दिखे, बेहतर लगे। करीब आठ साल बाद दिखीं महिमा चौधरी जंचीं।

ज़ी-5 पर आई फिल्म ‘द सिग्नेचर’ (The Signature) को देखते हुए ऐसा लगता है कि इसे 100 मिनट की फीचर फिल्म की बजाय आधे घंटे की शॉर्ट-फिल्म बनाया जाता तो यह कहीं अधिक गहराई से अपनी बात कह पाती। फिलहाल तो यह शून्य मनोरंजन में हल्के से मैसेज के साथ निहायत ही बोर किस्म की बन कर रह गई है।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-04 October, 2024 on ZEE5

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए सिनेमा व पर्यटन पर नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: annu kapooranupam khergajendra ahirek c bokadiamahima chaudhrymanoj joshineena kulkarniranvir shoreythe signaturethe signature reviewthe signature zee5 reviewZEE5
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Comments 3

  1. विद्या भूषण अरोरा says:
    8 months ago

    बहुत अच्छी समीक्षा है। उपयोगी भी। पाठक आसानी से निर्णय कर सकता है कि उसे फिल्म देखनी है या नहीं। देखनी है तो किसलिए और नहीं देखनी तो क्यों नहीं देखनी।

    Reply
    • CineYatra says:
      8 months ago

      धन्यवाद…

      Reply
  2. NAFEES AHMED says:
    7 months ago

    फ़िल्म देखी…… जैसा पढ़ा वैसा ही पाया…..ज़रूरी नहीं कि रेमेक क़े जरिये वही निपुणता देखने को. मिले जैसे कि वो असल भाषा में है……

    खैर…… बाक़ी का तो कुछ नहीं….. अनुपम खेर असल में खेर ही लगे….

    Reply

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