-दीपक दुआ…
पंजाबी फिल्मों का बड़ा नाम हैं गिप्पी ग्रेवाल। लोग न सिर्फ उन्हें बतौर गायक प्यार करते हैं, उनकी आवाज़ पर थिरकते हैं बल्कि बतौर एक्टर भी उनकी दीवानगी कम नहीं है। उन्होंने एक पंजाबी फिल्म ‘अरदास’ डायरेक्ट भी की थी लेकिन अभी भी वह खुद को एक गायक ही पहले मानते हैं। 1 जून को रिलीज़ हो रही उनकी फिल्म ‘कैरी ऑन जट्टा 2’ के आने से पहले गिप्पी दिल्ली में थे जहां वह मीडिया से रूबरू हुए।
गिप्पी ने बताया कि 2012 में आई ‘कैरी ऑन जट्टा’ की तरह ही यह फिल्म भी एक एंटरटेंनिंग फैमिली कॉमेडी फिल्म होगी जिसमें उनके साथ सोनम बाजवा की जोड़ी है। छह साल का लंबा वक्त लगने के बारे में उन्होंने बताया कि पहले दो-तीन साल तक तो हम लोग ‘कैरी ऑन जट्टा’ को ही एन्जॉय करते रहे क्योंकि वो फिल्म पुरानी ही नहीं हो रही थी। उसके बाद कहानी ढूंढी गई, प्लानिंग हुई और तब जाकर ‘कैरी ऑन जट्टा 2’ की शुरूआत हो पाई।
इन्हीं तमाम सवालों के बीच मैंने फिल्म के निर्माता सनी और गिप्पी से पूछा कि यह बात सही है कि पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में बूम आया हुआ है। लेकिन मसाला फिल्में बन रही हैं, एंटरटेनमैंट बन रहा है। वो फिल्में जो पंजाबी विरासत की, सिक्खी की, धर्म की, गंभीर बातें करें, वे कम बन रही हैं और जो बन रही हैं, उन पर विवाद हो जाते हैं, जैसे ‘नानक शाह फकीर’। और दूसरी बात यह कि अभी हाल ही में कुछ सिक्ख नेताओं ने घोषणा की है कि वे लोग ‘सिक्ख सेंसर बोर्ड’ बनाएंगे जो उन फिल्मों को देखेगा जिनमें सिक्ख धर्म से जुड़ी बात होगी। क्या सरकारी सेंसर बोर्ड के ऊपर इस तरह का सेंसर बोर्ड होना चाहिए?
इस पर निर्माता सनी ने अपनी बात कही और उनके बाद गिप्पी ग्रेवाल ने बहुत ही सधे हुए शब्दों में और बहुत ही संतुलित तरीके से इन दोनों सवालों का जवाब दिया। वह जवाब क्या था, आप नीचे दिए गए लिंक में देख-सुन सकते हैं।
(सिक्ख सेंसर बोर्ड पर गिप्पी ग्रेवाल ने क्या कहा-यहां क्लिक कर के देखिए )
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए सिनेमा व पर्यटन पर नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)