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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-स्लीपिंग ब्यूटी ‘परम सुंदरी’

Deepak Dua by Deepak Dua
2025/08/29
in फिल्म/वेब रिव्यू
5
रिव्यू-स्लीपिंग ब्यूटी ‘परम सुंदरी’
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-दीपक दुआ…

दिल्ली का पंजाबी लड़का परम सचदेव जा पहुंचा है केरल के एक गांव में वहां की लड़की सुंदरी को पटाने। उसे लगता है कि यही उसकी जीवन संगिनी बनेगी। धीरे-धीरे दोनों करीब आते हैं लेकिन वह लव-स्टोरी ही क्या जिसमें मुश्किलें और अड़चनें न हों और वे लवर ही क्या जो हर बाधा को पार न कर पाएं।

दो अलग-अलग माहौल से आए लड़के-लड़की की प्रेम-कहानी देखना नया या अनोखा नहीं है। ऐसी कहानियों में दो जुदा संस्कृतियों, रीति-रिवाजों, परंपराओं आदि के पहले टकराने और फिर एकाकार होने की बातें दर्शकों को लुभाती हैं। ‘चैन्नई एक्सप्रैस’, ‘2 स्टेट्स’, ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ जैसी फिल्मों में हम ये चीज़ें देख चुके हैं, आनंदित हो चुके हैं। लेकिन क्या ‘परम सुंदरी’ भी ऐसा कर पाने में कामयाब रही है? जवाब है-नहीं, बिल्कुल भी नहीं।

पहला लक्षण-इस फिल्म को बनाने वालों की सोच स्पष्ट होती तो वे लोग अपनी बुनी हुई कहानी को एक कायदे का नाम ज़रूर देते। जान-बूझ कर लड़के का नाम परम और लड़की का सुंदरी रखा गया है ताकि ‘परम सुंदरी’ शीर्षक से दर्शकों को खींचा जा सके। चलिए, नाम में क्या रखा है, कहानी दमदार होनी चाहिए। यहां वह भी नहीं है। लड़का जिस वजह से केरल गया है, वह रोचक लगता है लेकिन जल्द ही वह कारण अपना असर छोड़ देता है। जिस तरह से इस कहानी को विस्तार देकर स्क्रिप्ट में बदला गया है, उससे इसका बनावटीपन साफ झलकता है। बनाने वालों ने इसे रॉम-कॉम यानी रोमांटिक-कॉमेडी का रूप देना चाहा है लेकिन सच तो यह है कि इस फिल्म में दिखाया गया रोमांस सिर्फ आंखों को भाता है, दिल को नहीं। रही कॉमेडी, तो वह न दिल को जंचती है, न दिमाग को, बल्कि उसे देख-सुन कर झल्लाहट ज़रूर होती है।

इस फिल्म का ट्रेलर देखिए जिसमें लड़का, लड़की से चर्च में पूछता है कि क्या उसने कभी चर्च में ‘वो’ किया है…? फिर वह बताता है कि उसने तो न जाने कहां-कहां पर ‘वो’ किया है। फिल्म के अंत में लड़की सबके सामने उसे ‘वो’ करके कहती है कि सबका मुंह ऐसे ही बंद होगा। यहीं पर आकर पूरी फिल्म में की गईं कल्चर की बातें कीचड़ हो जाती हैं। दरअसल इस फिल्म को बनाने वालों की सोच की उलझन पर्दे पर बार-बार दिखती है जिसके चलते यह एक औसत किस्म की ऐसी फिल्म बन कर रह गई है जिसे देखते हुए आनंद कम और नींद ज़्यादा आती है।

हालांकि फिल्म सिखाती है कि किसी नई जगह पर जाने वाले पर्यटकों को मर्यादा में रहना चाहिए। फिल्म उत्तर भारतीयों को यह भी सिखाती है कि हर दक्षिण भारतीय मद्रासी नहीं होता बल्कि वहां भी कई सारे कल्चर पाए जाते हैं। फिल्म सोचने पर मजबूर करती है कि अधिकांश दक्षिण भारतीय लोग अच्छी या खराब हिन्दी बोल लेते हैं लेकिन उत्तर भारतीय लोग वहां की भाषाओं का एक शब्द तक नहीं बोल पाते। इस फिल्म में काफी सारी मलयालम है और बनाने वालों ने अपनी मर्ज़ी से कभी तो पर्दे पर हिन्दी में सब-टाइटिल दिए हैं और कभी यह यकीन कर लिया है कि दर्शक खुद मलयालम की डिक्शनरी खोल लेंगे। अभिषेक बच्चन को लेकर ‘दसवीं’ बना चुके निर्देशक तुषार जलोटा ने इस बार बड़ा और भारी कदम उठाया है लेकिन कमज़ोर स्क्रिप्ट ने उनके काम को असरदार होने से थामे रखा है।

(रिव्यू-सैकिंड डिवीज़न ‘दसवीं’ पास)

सिद्धार्थ मल्होत्रा की एक्टिंग रेंज सीमित है और वह उस रेंज में रह कर जैसा कर पाते हैं, यहां भी उन्होंने वैसा ही काम किया है। जाह्न्वी कपूर भी अपने किरदार को समझ कर सही काम कर गई हैं। असल में इन दोनों के किरदारों को दमदार तरीके से रचा ही नहीं गया है इसलिए इनसे दमदार परफॉर्मेंस की उम्मीद नहीं होनी चाहिए। बाकी के लोग मसलन मनजोत सिंह, सिद्धार्थ शंकर, रेंजी पाणिक्कर, संजय कपूर, इनायत वर्मा आदि ठीक-ठाक रहे हैं। दो गाने बढ़िया हैं, बाकी के ‘देखने’ में अच्छे लगते हैं। ‘देखने’ में तो खैर यह पूरी फिल्म ही अच्छी लगती है। केरल के सुंदर दृश्य, सिद्धार्थ मल्होत्रा की चॉकलेटी शक्ल, कसी हुई बॉडी, जाह्न्वी की नैनसुख देती सुंदरता…! बस ‘समझने’ की कोशिश में फिल्म फैल जाती है। ‘देखनी’ हो तो देख लीजिए, ‘समझने’ की चेष्टा मत कीजिएगा।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-29 August, 2025 in theaters

(दीपक दुआ राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म समीक्षक हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के साथ–साथ विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, वेब–पोर्टल, रेडियो, टी.वी. आदि पर सक्रिय दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य भी हैं।)

Tags: inayat vermajanhvi kapoormanjot singhparam sundariparam sundari reviewrenji panicketsanjay kapoorSiddhartha Shankartushar jalota
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Comments 5

  1. B S BHARDWAJ says:
    2 months ago

    बहुत बढ़िया समीक्षा

    Reply
    • CineYatra says:
      2 months ago

      धन्यवाद…

      Reply
  2. Shaily says:
    2 months ago

    एक मॉडल और एक स्टार पुत्री क्या एक्टिंग करेंगे। डायरेक्टर क्या कहने की हिम्मत रखेगा। कहानी लिखने वाले को जो कहा जायेगा बेचारा लिखेगा। इसके बाद जो फिल्म बनेगी वो चूं चूं का मुरब्बा ही होगी। आपकी सच्ची समीक्षा के लिए बधाई

    Reply
    • CineYatra says:
      2 months ago

      धन्यवाद…

      Reply
  3. Nafees says:
    1 month ago

    सुपर्ब

    Reply

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