-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)
ज़रा सोचिए कि जिस ए.आई. यानी आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता) को इंसान ने अपनी मदद के लिए बनाया उस ए.आई. की ही नीयत खराब हो जाए और वह इंसानों को अपने इशारों पर नचाने लगे तो…?
2023 में आई ‘मिशन इम्पॉसिबल’ सीरिज़ की 7वीं फिल्म में आई.एम.एफ. यानी इम्पॉसिबल मिशन फोर्स के जाबांज़ एजेंट ईथन हंट ने ए.आई. को काबू में करने वाली चाबी हासिल कर ली थी जो पता नहीं कहां लगेगी। अब इस कड़ी की 8वीं और आखिरी फिल्म ‘मिशन इम्पॉसिबल-द फाइनल रेकनिंग’ में ए.आई., जिसे ‘एन्टिटी’ या ‘वजूद’ कहा गया है, धीरे-धीरे दुनिया के परमाणु शक्तिसंपन्न देशों पर कब्जा कर रहा है। ऐसे नौ देशों पर कब्जा होते ही वह दुनिया को तबाह कर देगा। उसे रोकने का एक ही तरीका है कि समुद्र की गहराइयों में दफन एक पनडुब्बी में वह चाबी लगा कर एक ड्राइव हासिल की जाए। विलेन गैब्रियल चाहता है कि ईथन उसे वह ड्राइव लाकर दे ताकि वह ‘वजूद’ पर अधिकार कर सके। इस बीच ईथन के साथी लूथर ने एक वायरस बनाया है जिसे लगाते ही ‘वजूद’ निष्क्रिय हो जाएगा लेकिन गैब्रियल उसे ले जाता है। अब ईथन और उसकी टीम को पहले पनडुब्बी का पता लगाना है, उसमें से ड्राइव लेनी है, गैब्रियल से वह वायरस लेना है, उसे ‘वजूद’ में लगाना है, सारा डाटा उसमें लेना है और सैकिंड के सौवें हिस्से में उसे निकालना है। इस सारे काम के लिए इनके सिर्फ पास तीन-चार दिन हैं नहीं तो सब तबाह हो जाएगा।
सिनेमाई दुनिया के स्पेशल एजेंट्स की भीड़ में जो रोमांच ईथन हंट के किरदार ने परोसा वैसा कोई और नहीं दे पाया। इसकी वजह वे असंभव लगने वाले मिशन तो हैं ही जिन्हें ईथन सहजता से अंजाम तक पहुंचाता है, साथ ही उसकी चार्मिंग पर्सनैलिटी और एक्शन की काबलियत भी है जो उसकी फिल्मों को देखने लायक बनाती है। 1996 से शुरू हुआ यह सिलसिला अब इस फिल्म के साथ थम गया है। लेकिन जाते-जाते ईथन ने अपने चाहने वालों को निराश नहीं किया है। इस फिल्म में भी वह थ्रिल, स्पीड और एक्शन भरपूर मात्रा में है जिसके लिए ‘मिशन इम्पॉसिबल’ सीरिज़ की फिल्में जानी जाती हैं। खासतौर से पनडुब्बी वाले सीन और अंत में दो हवाई जहाजों की पकड़म-पकड़ाई बेहद रोमांचित करती है।
फिल्म के लिए बनाए गए सैट्स तो अद्भुत हैं ही, यह देख कर भी हैरानी होती है कि इसे लिखने-बनाने वालों ने किस कदर डूब कर साईंस पढ़ी होगी कि दर्शक बिना कोई सवाल उठाए, बस पर्दे पर दिख रही कारीगरी में डूबता चला जाता है। टॉम क्रूज़ समेत सभी कलाकारों का काम उनकी उम्र के मुताबिक उम्दा दिखा है। निर्देशक क्रिस्टोफर मैक्वॉयर ने हर डिपार्टमैंट से भरपूर मेहनत करवाई है। कैमरागिरी, बैकग्राउंड म्यूज़िक आदि मिल कर इस फिल्म को दर्शनीय बनाते हैं। हिन्दी की डबिंग शानदार है। एक खासियत यह भी है कि यह फिल्म पिछली सातों फिल्मों का कहीं न कहीं ज़िक्र करते हुए आपकी यादों को गुदगुदाती है।
‘मिशन इम्पॉसिबल’ सीरिज़ की फिल्में खालिस मनोरंजन की चाह में देखी जाती हैं और वह मनोरंजन इस आखिरी किस्त में भी भरपूर है। ईथन हंट अब विदा हो रहा है इसलिए ज़रूरी है कि जब यह फिल्म खत्म हो तो अपनी सीट से खड़े हो जाइएगा। आपका चहेता स्पेशल एजेंट जाते-जाते इतना सम्मान तो आपसे डिज़र्व करता ही है।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release Date-17 May, 2025 in theaters
(दीपक दुआ राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म समीक्षक हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के साथ–साथ विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, वेब–पोर्टल, रेडियो, टी.वी. आदि पर सक्रिय दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य भी हैं।)
खूबसूरत…रिव्यु….
वाकई रुला दिया साहब ने अंत में…
समीक्षा पढ़ने के बाद, एक बार फिल्म दुबारा देखने का मन हो गया 😌 शुक्रिया दीपक सर⭐