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Home फिल्म/वेब रिव्यू

डॉक्यूमेंट्री रिव्यू-क्या सचमुच उसे ज़िंदा दफनाया गया था…?

Deepak Dua by Deepak Dua
2023/04/22
in फिल्म/वेब रिव्यू
2
डॉक्यूमेंट्री रिव्यू-क्या सचमुच उसे ज़िंदा दफनाया गया था…?
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

1994 का साल था। अचानक एक दिन देश भर के तमाम अखबारों और दूरदर्शन के चैनलों पर एक क्राइम स्टोरी छा गई। बंगलुरु के एक आदमी की निशानदेही पर उसी के घर के आंगन को पुलिस ने खुदवाया तो उसमें एक ताबूत में उसकी बीवी का कंकाल मिला। पूरे वाकये की वीडियोग्राफी भी हुई। हैरानी की बात यह थी कि उस ताबूत के अंदर नाखूनों से खरोंचे जाने के हज़ारों निशान मिले। तो क्या उसने अपनी बीवी को ज़िंदा ही दफन कर दिया था? वह आदमी आज तक भी इस बात से इंकार करता है? तो फिर सच क्या है?

ओ.टी.टी. की बढ़त ने डॉक्यूमेंट्री फिल्मों को भी मंच और बाज़ार देना शुरू किया है। अमेज़न प्राइम वीडियो पर आई यह डॉक्यू-सीरिज़ ‘डांसिंग ऑन द ग्रेव’ बिना फिल्मी हुए बस कहीं-कहीं घटनाओं के नाटकीय रूपांतरण को दिखाते हुए हमें इस केस से जुड़े लोगों से मिलवाती है, उनकी बातों, उनकी सोच से रूबरू करवाती है, उस अनोखे केस की पेचीदगियां दिखाती है और इन सबसे बढ़ कर नियति के उस पहलू को दिखाती है जो बताता है कि किस्मत किसी की सगी नहीं होती।

मैसूर, जयपुर और हैदराबाद जैसी रियासतों के दीवान रहे सर मिर्ज़ा इस्माइल की नातिन शाकरेह नमाज़ी की शादी आई.एफ.एस. अफसर अकबर मिर्ज़ा खलीली से हुई। इनकी चार बेटियां भी हुईं। बेहद रईस, खानदानी, ऊंचे तबके के लोग थे ये। 1983 में शाकरेह की मुलाकात मुरली मनोहर मिश्रा से हुई जो खुद को स्वामी श्रद्धानंद कहलवाता था। 1985 में शाकरेह ने अपने पति से तलाक लेकर छह महीने बाद ही स्वामी से शादी कर ली। 1991 में एक दिन वह गायब हो गई। स्वामी उसकी बेटियों से लगातर झूठ कहता रहा कि वह विदेश में है। 1992 में पुलिस कंपलेंट हुई लेकिन पुलिस भी कुछ पता न लगा सकी। आखिर 1994 में खुद स्वामी ने ही पुलिस को बताया कि उसने अपनी पत्नी को अपने ही आंगन में गाड़ दिया था। क्या वह मर चुकी थी या…?

लगभग आधे घंटे के चार एपिसोड में निर्देशक पैट्रिक ग्राहम और उनकी टीम इस केस से जुड़े तमाम लोगों से संपर्क साधती है, मिलती है, बतियाती है जिनमें शाकरेह के परिवार के लोग, दोस्त, पुलिस, वकील, जज, पत्रकार और जेल में बंद खुद स्वामी श्रद्धानंद भी शामिल हैं। इसके अलावा पुरानी ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग्स भी इस परिवार से जुड़े लोगों की सोच को सामने लाती हैं। ज़ाहिरा तौर पर इनमें श्रद्धानंद को विलेन ही बताया गया है। वही श्रद्धानंद जिसने शाकरेह को आंगन में गाड़ा और बाद में अपने दोस्तों के साथ उसी आंगन में पार्टी करता रहा, नाचता रहा। लेकिन यह डॉक्यूमेंट्री इस सवाल पर भी बात करती है कि यदि शाकरेह के मरने से श्रद्धानंद को सैंकड़ों करोड़ की प्रॉपर्टी मिलती तो वहीं श्रद्धानंद के मरने से वही प्रॉपर्टी शाकरेह के परिवार के बाकी सदस्यों को मिल जाती। तो आखिर सच क्या है?

डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का काम होता है तमाम बातों, तथ्यों आदि को बिना किसी पूर्वाग्रह के सामने लाना। पैट्रिक और उनकी टीम ने यह काम बखूबी किया है और बड़े ही सधेपन के साथ किया है। दर्शक इसे देखें और खुद तय करें कि सच क्या है?

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-21 April, 2023 on Amazon Prime Video

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: amazonamazon primeamazon prime videoDancing on the GraveDancing on the Grave reviewKanishka Singh DeoPatrick Grahamshakereh
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Comments 2

  1. Dr. Renu Goel says:
    3 years ago

    Interesting
    Dekhni padegi

    Reply
  2. Rishabh Sharma says:
    3 years ago

    सत्य कथाओं पर आधारित इस तरह की डाक्यूमेंट्री अंदर तक भयभीत कार देती हैं ! मनुष्य इतना कमजोर है कि सपने में डर जाता है और इतना हैवान भी की ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हुए ईश्वर से भी नही डरता!

    Reply

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