• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home विविध

विवान शाह-मेरे अंदर लेखक और एक्टर दोनों हैं

Deepak Dua by Deepak Dua
2019/05/26
in विविध
0
विवान शाह-मेरे अंदर लेखक और एक्टर दोनों हैं
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ…

विवान शाह 29 बरस के हैं। वह अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और अदाकारा रत्ना पाठक शाह के बेटे हैं और महज 21 की उम्र में अपनी पहली फिल्म ‘7 खून माफ’ कर चुके हैं। बावजूद इसके उन्होंने अब तक सिर्फ तीन और फिल्में ‘हैप्पी न्यू ईयर’, ‘बॉम्बे वैल्वेट’ और ‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना’ की हैं। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि पिछले दिनों उन्होंने अंग्रेजी में ‘लिविंग हैल’ नाम से एक क्राइम थ्रिलर उपन्यास लिख डाला। उनसे हुई बातचीत के अंश-

-‘लिविंग हैल’ के बारे में बताएं?
-यह एक क्राइम फिक्शन उपन्यास है। या कहूं कि मेरी तरफ से कोशिश है क्राइम फिक्शन की परंपरा को एक ट्रिब्यूट देने की। यह कहानी है नदीम छिपकली नाम के एक युवक की जो अपनी बिल्डिंग में हुए एक अपराध को सुलझाने निकला है। अब जासूस दो तरह के होते हैं। एक तो वे परंपरावादी जो सर ऑर्थर कानेन डायल या अगाथा क्रिस्टी की कहानियों में पाए जाते हैं और दूसरे वे जो अपने अंदर की आवाज सुनते हैं और बिना किसी तर्क या विश्लेषण के केस को सुलझाते हैं। नदीम ऐसा ही शख्स है।

-इसे लिखने की प्रेरणा कहां से मिली?
-मैंने बहुत सारा अपराध साहित्य पढ़ा है। साथ ही मुझे लगता है कि मेरे बचपन की यादें भी मेरे काम आईं। हम लोग बांद्रा में रहते थे और 90 के दशक में वहां बहुत भाईगिरी हुआ करती थी। वे लोग अंडरवर्ल्ड के लोग नहीं थे लेकिन उनका रहन-सहन, बोली वगैरह में कुछ अलग ही बात होती थी। उनमें मेरे बहुत दोस्त थे जो मेरे साथ खेलने आते थे। फिर मैं बोर्डिंग स्कूल चला गया जहां मैंने पश्चिमी अपराध साहित्य पढ़ा, बहुत सारी गैंगस्टर-फिल्में देखीं। उनका मुझ पर गहरा असर पड़ा। तो मुझे लगता है कि वहां से मेरे अंदर ये बातें आईं।

-तो क्या आप अब एक्टिंग से लेखन की तरफ जा रहे हैं?
-नहीं, मुझे लगता है कि मेरे अंदर दोनों ही शख्स एक साथ रह रहे हैं-एक लेखक भी और एक एक्टर भी। उलटे ये दोनों एक-दूसरे की मदद भी कर रहे हैं। कुछ साल पहले मैंने जब लिखना शुरू किया था तो मेरे अंदर का एक्टर मुझे बार-बार सुझाव देता था कि कौन-सी बात कैसे लिखी जाए ताकि पढ़ने वाले को उसका भाव सही तरह से समझ आ जाए। ठीक इसी तरह से जब मैं एक्टिंग कर रहा होता हूं तो मेरे अंदर का लेखक मुझे समझाता है कि किस संवाद को कैसे कहा जाए या कहां कैसे रिएक्ट किया जाए।

-क्या आपको भी किसी नए लेखक की तरह इस उपन्यास के छपवाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा?
-मैं कहूंगा कि हां, करना पड़ा तो आप शायद यकीन नहीं करेंगे। लेकिन सच यही है। आपको यह जान कर और ज्यादा हैरानी होगी कि इससे पहले मैंने कुछ कहानियां भी लिखी थीं लेकिन जब मैंने उसे एक प्रकाशक के पास भेजा तो उन्होंने उसे सिरे से नकार दिया। पर मैंने हिम्मत नहीं हारी और अपने इस उपन्यास में जुटा रहा। प्रकाशक को यह पसंद तो आया लेकिन हर बार वह इसमें कोई न कोई नुक्स निकाल देते थे। मुझे चार बार इसे ठीक करना पड़ा तब कहीं जाकर वह इसे छापने को राजी हुए।

-आपने कहा कि आप पर गैंगस्टर-फिल्मों का काफी असर पड़ा। तो आपने उपन्यास लिखने की बजाय किसी फिल्म की स्क्रिप्ट क्यों नहीं लिख डाली?
-मैंने शुरूआत स्क्रिप्ट लिखने से ही की थी। बहुत सारी अधूरी स्क्रिप्ट्स लिखी हैं मैंने। पर सिनेमा में आप जो कहना चाहते हैं, वह अकेले नहीं कह सकते। आपको बहुत सारे दूसरे लोगों पर निर्भर होना पड़ता है। फिल्म बनाना एक टीम-वर्क है जबकि उपन्यास में आप अकेले ही सब कहते हैं।

-फिल्में कर रहे हैं?
-बिल्कुल कर रहा हूं लेकिन अपने मन की फिल्में कर रहा हूं और कम कर रहा हूं। अभी एक फिल्म मैंने की है जिसका नाम है ‘कोट’। इसमें मैं एक दलित युवक के किरदार में हूं जो सुअर पालता है। उसका सपना है कि उसके पास पहनने को एक कोट हो और इस सपने को पूरा करने के लिए वह हस्तशिल्प का बिजनेस शुरू कर देता है। यह फिल्म असल में जाति की राजनीति और समाज के निचले वर्ग के उस संघर्ष को दिखाती है जो उन्हें आगे आने के लिए करना पड़ता है।

-क्या फिल्मों में आना शुरू से ही तय था?
-बिल्कुल नहीं। दून स्कूल में मेरे दोस्त मुझ से कहते थे कि तू पढ़ाई क्यों कर रहा है, तुझे तो एक्टर ही बनना है। पर मैं इतिहासकार बनना चाहता था। इतिहास में मेरी गहरी दिलचस्पी थी, आज भी है। पर दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में मुझे सिर्फ एक नंबर से हिस्ट्री ऑनर्स में दाखिला नहीं मिला और मुझे बी.ए. करनी पड़ी। इसीलिए मैं एक साल बाद ही मुंबई आ गया जहां मुझे विशाल भारद्वाज ने ‘7 खून माफ’ में ले लिया।

-‘हैप्पी न्यू ईयर’ के बाद उम्मीद की जा रही थी कि आप ज्यादा फिल्मों में दिखेंगे। ऐसा क्यों नहीं हो सका?

-क्योंकि मैं एक ही तरह के रोल नहीं कर सकता। मुझे हर बार कुछ अलग चाहिए होता है, कुछ चुनौतीपूर्ण चाहिए होता है।

(नोट-यह इंटरव्यू 26 मई, 2019 के ‘राष्ट्रीय सहारा’ समाचार-पत्र में प्रकाशित हुआ है)

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए सिनेमा व पर्यटन पर नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: naseeruddin shahratna pathak shahvivaan shahविवान शाह
ADVERTISEMENT
Previous Post

रिव्यू-‘बेबी’ का बेबी-संस्करण है ‘इंडियाज़ मोस्ट वांटेड’

Next Post

रिव्यू-नेक नीयत ‘नक्काश’

Related Posts

2024 की इन वेब-सीरिज़ में से आप किसे अवार्ड देना चाहेंगे?
विविध

2024 की इन वेब-सीरिज़ में से आप किसे अवार्ड देना चाहेंगे?

2024 की इन फिल्मों में से किसे मिलेंगे क्रिटिक्स चॉयस अवार्ड्स?
विविध

2024 की इन फिल्मों में से किसे मिलेंगे क्रिटिक्स चॉयस अवार्ड्स?

लहरों पर फिल्मी हलचलें
विविध

लहरों पर फिल्मी हलचलें

इफ्फी गोआ में लोक-संगीत व नृत्य का आनंद
विविध

इफ्फी गोआ में लोक-संगीत व नृत्य का आनंद

निर्देशक राजीव राय की धमाकेदार वापसी
विविध

निर्देशक राजीव राय की धमाकेदार वापसी

2023 की इन वेब-सीरिज़ में से आप किसे अवार्ड देना चाहेंगे?
विविध

2023 की इन वेब-सीरिज़ में से आप किसे अवार्ड देना चाहेंगे?

Next Post
रिव्यू-नेक नीयत ‘नक्काश’

रिव्यू-नेक नीयत ‘नक्काश’

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – dua3792@yahoo.com

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment