-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
हरियाणवी सिनेमा का स्थापित नाम हैं संदीप शर्मा। अक्सर वह हिन्दी फिल्मों में भी दिख जाते हैं। अब वह अपनी ही लिखी कहानी पर यह हरियाणवी फिल्म ‘रंगीली’ लेकर आए हैं जो हरियाणवी कंटैंट के लोकप्रिय ओ.टी.टी. मंच ‘स्टेज’ पर रिलीज़ हुई है। हरियाणवी सिनेमा में हाल के बरसों में जो अच्छा कंटैंट आने लगा है उसके पीछे स्टेज जैसे ऐप का बड़ा हाथ है। यह फिल्म भी उसी अच्छे कंटैंट की एक मिसाल है।
यह कहानी है एक विधुर पिता और उसके दो जवान बेटों की जो मेहनत-मज़दूरी करके अपना पेट पालते हैं। एक लड़की को बलात्कारी से बचाते हुए दोनों बेटे अंधे हो जाते हैं। लेकिन न तो पिता हार मानता है और न ही बेटे। एक-दूसरे का सहारा बन कर ये लोग अपनी ज़िंदगी के अंधेरे को रंगीनी में बदलते हैं।
संदीप शर्मा की लिखी कथा, पटकथा अच्छी है जिसमें मुश्किल वक्त में हिम्मत न हारने की सीख तो है ही, पिता और बेटों के आपसी प्यार का भी गहराई से चित्रण किया गया है। संदीप व वी.एम. बेचैन के के लिखे संवाद सटीक हैं और फिल्म को दिलचस्प व गाढ़ा बनाते हैं। फिल्म का अंत थोड़ा जल्दबाजी में बुना गया लगता है। क्लाइमैक्स को साध कर इस फिल्म को और अधिक असरदार बनाया जा सकता था।
संदीप शर्मा का निर्देशन प्रभावी रहा है। उन्हें सीन बनाने बखूबी आते हैं। लोकेशन के चयन से लेकर अपने कलाकारों से काम निकलवाने और कैमरा-प्लेसिंग तक उनका हुनर बखूबी दिखाई दिया है। कलाकारों ने भी उनका पूरा साथ निभाया है। पिता के रोल में तो खुद संदीप ही सबसे असरदार रहे। उनके बेटे बने राहुल लड़वाल और रजत सोंगारा, कोच बने हरिओम कौशिक, डॉक्टर बनीं अर्चना सुहासिनी, इंस्पैक्टर बनी गायत्री कौशल आदि ने बढ़िया काम किया। बाकी के कलाकारों का सहयोग भी भरपूर मिला। कृष्ण भारद्वाज ने फिल्म के गीत काफी बढ़िया लिखे हैं। खासतौर से पिता की महिमा पर लिखा गया एक गीत काफी उम्दा है। फिल्म का नाम थोड़ा-सा मिसफिट लगता है, ‘रंगीली’ की बजाय ‘रंगीनी’ कहीं बेहतर होता।
हिम्मत न हारने, हौसला बनाए रखने, कानून का साथ देने और पुरुषार्थ से पीछे न हटने की सीख देती ऐसी फिल्मों को युवा पीढ़ी को खासतौर से देखना चाहिए। ज़िंदगी के अंधेरों में मन को रोशन करने की प्रेरणा देते सिनेमा का स्वागत होना चाहिए।
(इस फिल्म का ट्रेलर देखने के लिए यहां क्लिक करें)
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Release Date-25 July, 2025 on Stage App
(दीपक दुआ राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म समीक्षक हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के साथ–साथ विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, वेब–पोर्टल, रेडियो, टी.वी. आदि पर सक्रिय दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य भी हैं।)
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Play Store पर मिल जाएगा, हरियाणवी और राजस्थानी कंटेंट में बहुत आगे है
Hamesha ki trh bhut hi badia
cinema aisa hi hona chahiye
Taki society me kuch badlav laye ja ske
धन्यवाद
Bahut Khoob….Kamaal