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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-पति पत्नी और मसालेदार वो

Deepak Dua by Deepak Dua
2019/12/08
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-पति पत्नी और मसालेदार वो
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-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

1978 में आई बी.आर. चोपड़ा जैसे दिग्गज निर्देशक की फिल्म ’पति पत्नी और वो’ में पति संजीव कुमार अपने ऑफिस की जवां सेक्रेटरी रंजीता से अपनी पत्नी विद्या सिन्हा की बीमारी का बहाना करके अफेयर चलाता है। उस फिल्म के इस रीमेक में कानपुर में सरकारी नौकरी कर रहा इंजीनियर कार्तिक आर्यन अपनी पत्नी भूमि पेडनेकर के किसी और के साथ अफेयर होने की बात कह कर अनन्या पांडेय की नजदीकियां हासिल करता है। एक कामयाब फिल्म का रीमेक बने और आज के दर्शकों की मसालेदार मनोरंजन पाने की चाहत को ध्यान में रख कर बने तो वह कामयाब होगी ही, क्लासिक भले ही न हो पाए। वैसे भी अब क्लासिक फिल्में किसे चाहिएं? जब दर्शक जंक-फूड से खुश हों तो फिल्म वाले भी क्यों ज़ोर लगाएं।

निर्देशक मुदस्सर अज़ीज़ अभी तक ’दूल्हा मिल गया’ जैसी पिलपिली, ’हैप्पी भाग जाएगी’ जैसी अच्छी और ’हैप्पी फिर भाग जाएगी’ जैसी औसत फिल्में दे चुके हैं। इस फिल्म में उन्होंने कहानी को रवां और रोचक बनाए रखने के लिए स्क्रिप्ट पर काफी रंदा लगाया है। इसे देखते हुए शुरू में लगता भी है कि वह इसे बहुत ऊंचाई पर ले भी जाएंगे। लेकिन जल्द ही यह एक आम पटरी पर पहुंच कर उतनी ही आम रफ्तार से चलने लगती है। महसूस होता है कि बतौर लेखक वह ज़्यादा क्रांतिकारी नहीं होना चाहते थे। मसालों और रंगीनियों के सेफ-गेम से बात बनती हो तो कोई रिस्क क्यों ले?

हिन्दी फिल्में इधर सब्सिडी की लालसा में उत्तर प्रदेश में बसने लगी हैं। यहां भी कानपुर का वही कनपुरिया अंदाज़ है जो अब आम हो चुका है। निर्देशक ने अक्लमंदी यह दिखाई कि हर किरदार पर कनपुरिया लहजा नहीं थोपा। यह भी उनकी खूबी रही कि इंटरवल के बाद साधारण बन चुकी कहानी को भी उन्होंने कमोबेश रोचक बनाए रखा। यही वजह है कि फिल्म खत्म होती है तो आप मुस्कुराते हुए थिएटर से निकलते हैं और टिकट के पैसे वसूल करवाने के लिए यह मुस्कुराहट काफी लगती है।

कार्तिक अपने किरदार को पूरे दम से उठाते हैं। भूमि कहीं-कहीं अपने अजीब-से मेकअप और पोशाकों के बावजूद जमती हैं, जंचती हैं क्योंकि वह अपने किरदार में बखूबी उतरती हैं। अनन्या भी अपने किरदार की ज़रूरत के मुताबिक असरदार काम करते हुए दिलकश लगती हैं। हीरो के दोस्त फहीम के रोल में अपारशक्ति खुराना बताते हैं कि असली सपोर्ट कैसे दिया जाता है। भूमि के स्टूडेंट राकेश यादव के किरदार में शुभम खूब जमते हैं। डोगा बने सन्नी सिंह और मौसा जी बने नीरज सूद प्रभावी रहे हैं। बाकी के किरदारों को ठीक से उभारा ही नहीं गया। गीत-संगीत फिल्म के स्वाद के मुताबिक मसालेदार है। मसालेदार तो यह पूरी फिल्म ही है। भले ही इसके मसाले ज़्यादा चटपटे न हों पर फौरी चटखारे तो ये देते ही हैं।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-06 December, 2019

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: ananya pandayaparshakti khuranabhumi pednekarkartik aaryanMudassar Aziznavni parhiharneeraj soodPati Patni Aur Wohrajesh sharmasunny singht series
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