-दीपक दुआ…
डॉ. धनेश द्विवेदी हिन्दी के अध्येता हैं। अपनी दो पुस्तकों ‘मुस्लिम वयस्क और मीडिया’ व ‘समय की कसौटी पर समकालीन साहित्यकार’ से पहचाने जाते हैं। लेकिन हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी, उर्दू, रूसी, अरबी, फ्रैंच आदि भाषाओं पर भी उनकी खासी पकड़ है और यह उनकी इस नई पुस्तक से सामने भी आती है।
अपनी इस तीसरी पुस्तक ‘मेरी इकतीस लघु कथाएं’ में डॉ. धनेश द्विवेदी ने रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी बातों पर 31 छोटी कहानियां कही हैं। इन कहानियों में वह जीवन के दर्शन, व्यवहार, ऊंच-नीच आदि की बातों को सरल भाषा में सामने लाते हैं। उनके लेखन में सहजता है और साथ ही एक ऐसा प्रवाह भी जो पाठक को बिना रुके इन कहानियों को पढ़ने को प्रेरित करता है। लेकिन इस पुस्तक से जुड़ी खास बात यह है कि इसकी सभी कहानियां हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी, उर्दू व रशियन भाषाओं में भी हैं। आमतौर पर कोई पुस्तक एक भाषा में आने के बाद अन्य भाषाओं में अनूदित की जाती है लेकिन इस पुस्तक में एक ही जिल्द में चार भाषाओं का रसास्वादन किया जा सकता है। दिल्ली की प्रकाशन संस्था ‘हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी’ से आई इस किताब की कीमत 300 रुपए है।
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)