-दीपक दुआ…
हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री हो या फिर हिन्दी सिनेमा का रुपहला पर्दा, इन दोनों ही जगहों पर पुरुषों की ही प्रधानता रही है। लेकिन सिनेमाई पर्दे की परियों यानी सिनेमा की अभिनेत्रियों के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता। बल्कि यह कहना ज़्यादा उचित होगा कि सिनेमा का ज़िक्र हो और उसमें काम करने वाली अभिनेत्रियों का ज़िक्र न हो तो बात अधूरी ही रह जाएगी।
हालांकि सिनेमाई अभिनेत्रियों पर काफी कुछ लिखा गया है लेकिन एक ही किताब में अभिनेत्रियों के ढेर सारे पक्षों को एक साथ समेट लेने की जो कवायद डॉ. एस. श्रीकांत ने इस पुस्तक ‘हिन्दी सिनेमा और अभिनेत्री’ में की है, वह हैरान करती है और उनकी लगन व मेहनत की प्रशंसा किए बगैर नहीं रहा जाता। इस पुस्तक में ‘संघर्ष से सफलता’ के पहले अध्याय में हिन्दी सिनेमा की अनेक अभिनेत्रियों पर परिचयात्मक आलेख देने के बाद उन्होंने हिन्दी सिनेमा के साथ अभिनेत्रियों के संबंधों को विभिन्न कोणों से जांचा और बताया है। ‘फिल्म परिवारों से ताल्लुक रखने वाली अभिनेत्रियां’, ‘एक ही अभिनेता के साथ मां, बहन, पत्नी, प्रेमिका की भूमिका में आईं अभिनेत्रियां’, ‘दोहरी भूमिका निभाने वाली अभिनेत्रियां’, ‘अंधी महिला के किरदार में आईं अभिनेत्रियां’, ‘पिता और पुत्र दोनों की नायिका बनने वाली अभिनेत्रियां’, ‘खल-चरित्र निभाने वाली अभिनेत्रियां’, ‘पुलिस, जासूस आदि बनीं अभिनेत्रियां’, ‘वेश्या के किरदार में आईं अभिनेत्रियां’, ‘कम उम्र में दुनिया से रुखसत हुईं अभिनेत्रियां’ जैसे इस पुस्तक के विभिन्न अध्याय इस विस्तार से लिखे गए हैं कि यह किताब हिन्दी सिनेमा और अभिनेत्रियों के अंतर्संबंधों पर एक रेफरेंस बुक के रूप में देखी जा सकती है।
हालांकि कुछ एक जगह भाषा, वर्तनी, प्रूफ आदि की अशुद्धियां दिखती हैं और पुस्तक की कीमत (1995 रुपए) भी ज़्यादा प्रतीत होती है लेकिन श्री नटराज प्रकाशन से आई इस किताब में समेटी गई जानकारी के मद्देनज़र ये अशुद्धियां, यह कीमत अखरती नहीं है।
(दीपक दुआ राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म समीक्षक हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के साथ-साथ विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, वेब-पोर्टल, रेडियो, टी.वी. आदि पर सक्रिय दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य भी हैं।)