-दीपक दुआ... (Featured in IMDb Critics Reviews)
‘अबे गांव में नौकरी मिल रही है। यही उम्र है कर ले एडवेंचर।’
‘सिंपल ज़िंदगी चाहिए यार। नहीं करना मुझे एडवेंचर।’
लेकिन पढ़ाई-लिखाई में औसत रहे शहरी बाबू अभिषेक त्रिपाठी अब बेमन से पहुंच गए हैं जिला बलिया के गांव फुलेरा के पंचायत सचिव बन कर। दिन भर पंचायत के सरकारी काम करते हैं और रात में एम.बी.ए. की तैयारी। कई महीने बाद भी गांव को तो वह नहीं अपना पाए अलबत्ता गांव ने उन्हें ज़रूर अपना लिया है।