• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फ़िल्म रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फ़िल्म रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फ़िल्म रिव्यू

बॉक्स-ऑफिस-अगस्त-अक्षय बने बॉक्स-ऑफिस के ‘रुस्तम’

CineYatra by CineYatra
2021/05/30
in फ़िल्म रिव्यू
0
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

पिछले कई साल से ‘हरिभूमि’ अखबार में हर महीने अपना कॉलम ‘बॉक्स ऑफिस’ आ रहा है. अगस्त के बॉक्स-ऑफिस की रिपोर्ट शनिवार 3 सितंबर को छपी, जिसे यहाँ पढ़ा जा सकता है-

अगस्त का पहला शुक्रवार बॉक्स-ऑफिस के लिहाज से बहुत ही हल्की फिल्में लेकर आया। अरशद वारसी, अदिति राव हैदरी, बोमन ईरानी वाली ‘द लीजैंड आॅफ माइकल मिश्रा’ का इरादा तो कॉमेडी उपजा कर लोगों को हंसाने का था मगर इस फिल्म को देख कर अपने बाल नोचने का मन हुआ। हैरानी होती है कि यह उन मनीष झा की फिल्म है जिनकी ‘मातृभूमि’ को काफी तारीफें मिली थीं और जो अपनी एक शॉर्ट फिल्म के लिए कान फिल्म समारोह तक से अवार्ड ला चुके हैं। जबर्दस्त बोरियत से भरी इस फिल्म को जनता ने आते ही नकार दिया। ‘बुधिया सिंह-बोर्न टू रन’ 4-5 साल की उम्र में मैराथन दौड़ने वाले बुधिया की कहानी पर बनी एक अच्छी फिल्म रही। मनोज वाजपेयी समेत सभी कलाकारों की उम्दा एक्टिंग वाली इस फिल्म में वे मसाले नहीं थे कि दर्शक पैसे खर्च करके थिएटरों तक खिंचे चले आते। सर्वश्रेष्ठ बाल-फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाली यह फिल्म अपने इसी रूखेपन के चलते टिकट-खिड़की पर कोई कमाल न कर सकी। राजीव खंडेलवाल वाली ‘फीवर’ की कन्फ्यूजन से भरी और सिर्फ एक सीमित दर्शक वर्ग को भा सकने लायक कहानी इसे ले डूबी। फिर नामी चेहरों की कमी ने भी इसे नुकसान पहुंचाया। नए चेहरों वाली ‘है अपना दिल तो आवारा’ की घिसी-पिटी कहानी किसी को पसंद नहीं आई। ‘मूड्स ऑफ़ क्राइम’ और ‘लव इन मलेशिया’ के तो खैर, नाम भी नहीं सुनाई दिए। पहले हफ्ते की इन तमाम फिल्मों ने कुल मिला कर 5 करोड़ की भी कलैक्शन नहीं ली और सभी के माथे पर फ्लॉप का दाग लगा।
15 अगस्त वाला हफ्ता बड़े सितारों वाली फिल्में लेकर आता है। इस बार दो बड़ी फिल्मों की टक्कर हुई। इनमें से हृतिक रोशन वाली आशुतोष गोवारीकर की ‘मोहेंजो दारो’ से काफी उम्मीदें थीं लेकिन कहानी के स्तर पर यह काफी कमजोर निकली। हालांकि इस विषय पर फिल्म लाना ही अपने-आप में दुस्साहस का काम है और काफी लोगों ने इसे देखा भी टुकड़ों-टुकड़ों में असर छोड़ने वाली यह फिल्म उम्मीदों पर खरी उतर पाने में नाकाम रही और पहले सप्ताह में करीब 51 करोड़ की कलैक्शन लेने के बावजूद फ्लॉप कहलाई। अक्षय कुमार की ‘रुस्तम’ की कहानी ऐसी नहीं थी कि इसे बच्चे पसंद करते लेकिन लोगों ने इसे परिवार समेत देखा और अपनी कसी हुई स्क्रिप्ट व पैनेपन के चलते इसने अच्छी पैठ बनाई। देशभक्ति के मसाले वाली फिल्मों में अक्षय की अच्छी इमेज बन चुकी है और इस फिल्म के साथ भी यही हुआ। एक हफ्ते में करीब 91 करोड़ का बिजनेस करने के दो ही दिन बाद यह सौ करोड़ का आंकड़ा पार कर गई और सुपरहिट का मैडल भी लूट ले गई।


अगस्त का तीसरा शुक्रवार अभय देओल, डायना पेंटी, जिम्मी शेरगिल वाली ‘हैप्पी भाग जाएगी’ लेकर आया। साफ-सुथरे पारिवारिक मनोरंजन और ढेर सारी कॉमेडी वाली इस फिल्म की छितराई हुई पटकथा इसके आड़े आई वरना तो जिसने भी इसे देखा, पसंद किया और सराहा। इसके पिछले ही हफ्ते ‘रुस्तम’ पर पैसे खर्चने के बाद फैमिली समेत फिल्म देखने वालों ने इसे टिकट लेकर देखने से परहेज किया और इस तरह से एक अच्छी कॉमेडी फिल्म पहले सप्ताह में सिर्फ 18 करोड़ रुपए बटोर पाई। लेकिन यह थमी नहीं और दूसरे हफ्ते में भी कहीं-कहीं, कुछ-कुछ कमा रही है। वहीं कम बजट और नए लोगों वाली ‘मीराधा’ और ‘लुच्चे लफंगे’ जैसी फिल्में कुछ ठोस दे पाने में नाकाम रहीं और आते ही नकार दी गईं।


जाते-जाते अगस्त रेमो डिसूजा की टाईगर श्रॉफ वाली ‘ए फ्लाईंग जट्ट’ देकर गया। रेमो ने हर बार की तरह इस बार भी फिल्म में ऐसी चीजें डालीं जो स्कूल-कॉलेज के युवाओं को पसंद आ सकें। कॉमेडी, रोमांस, एक्शन और म्यूजिक के इन चटपटे मसालों के दम पर यह फिल्म टिकट-खिड़की पर भले ही जीत जाए लेकिन दिलों को जीत पाने का दम इसमें नजर नहीं आता। कमजोर पटकथा और बचकानेपन के चलते यह एक साधारण फिल्म बन कर रह गई। यही कारण है कि कृष्ण-जन्माष्टमी की छुट्टी का फायदा उठाने के लिए गुरुवार को ही रिलीज कर दी गई यह फिल्म पहले दिन जहां 7 करोड़ बटोर सकी तो दूसरे दिन यह आंकड़ा 6 करोड़ का ही रहा। जैसी करनी, वैसी भरनी। इसी सप्ताह आईं ‘वॉरियर सावित्री’, ‘मिसिंग ऑन ए वीकेंड’, ‘भाग कहां तक भागेगा’ जैसी फिल्मों का कोई नामलेवा भी नहीं था।


कुल मिला कर अगस्त का महीना ‘रुस्तम’ के नाम रहा और लोगों को मनोरंजन दे पाने में ‘हैप्पी भाग जाएगी’ भी सफल रही।
-दीपक दुआ

Tags: A Flying Jattbox officeBudhia SinghHappy Bhag JayegiMohenjo DaroRustomThe Legend of Michael Mishra
ADVERTISEMENT
Previous Post

जियो जिंदगी-फ्लोरा सैनी-योग के बिना नहीं रह सकती

Next Post

इंटरव्यू-मनोज तिवारी-जबरा मारे रोवे न दे…

Related Posts

रिव्यू-‘जयेशभाई जोरदार’ बोरदार शोरदार
फ़िल्म रिव्यू

रिव्यू-‘जयेशभाई जोरदार’ बोरदार शोरदार

रिव्यू-अच्छे से बनी-बुनी है ‘जर्सी’
फ़िल्म रिव्यू

रिव्यू-अच्छे से बनी-बुनी है ‘जर्सी’

रिव्यू-बड़ी ही ‘दबंग’ फिल्म है ‘के.जी.एफ.-चैप्टर 2’
फ़िल्म रिव्यू

रिव्यू-बड़ी ही ‘दबंग’ फिल्म है ‘के.जी.एफ.-चैप्टर 2’

वेब रिव्यू-क्राइम, इन्वेस्टिगेशन और तंत्र-मंत्र के बीच भटकती ‘अभय’
फ़िल्म रिव्यू

वेब रिव्यू-क्राइम, इन्वेस्टिगेशन और तंत्र-मंत्र के बीच भटकती ‘अभय’

रिव्यू-सैकिंड डिवीज़न ‘दसवीं’ पास
फ़िल्म रिव्यू

रिव्यू-सैकिंड डिवीज़न ‘दसवीं’ पास

रिव्यू-मैदान न छोड़ने की सीख देता ‘कौन प्रवीण तांबे?’
फ़िल्म रिव्यू

रिव्यू-मैदान न छोड़ने की सीख देता ‘कौन प्रवीण तांबे?’

Next Post

इंटरव्यू-मनोज तिवारी-जबरा मारे रोवे न दे...

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फ़िल्म रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – [email protected]

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment.

No Result
View All Result
  • होम
  • फ़िल्म रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment.