-दीपक दुआ…
अभिनेत्री-सांसद किरण खेर और अभिनेता अनुपम खेर के बेटे सिकंदर खेर ने ‘वुडस्टॉक विला’, ‘समर 2007’, ‘खेलें हम जी जान से’, ‘प्लेयर्स’ और ‘तेरे बिन लादेन-डैड ऑर अलाइव 2’ जैसी फिल्में कीं लेकिन इनमें से कोई भी कामयाब न हो पाई। अब वह अनिल कपूर के बनाए टी.वी. शो ‘24 सीजन 2’ में दिखाई दे रहे हैं। बता दें कि अनिल की साली कविता सिंह की बेटी प्रिया से सिकंदर का रिश्ता तय हो चुका है। उनसे हुए सवाल-जवाब में मेरा पहला सवाल यही था।
-यह सीरियल तो आपको आसानी से मिल गया होगा, आखिर अनिल कपूर अब आपके रिश्तेदार हैं?
-यह सही है, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में इस तरह से काम नहीं होता है। दोस्ती या रिश्तेदारी में लोग थोड़ा रिस्क जरूर उठा लेते हैं कि चलो तुम कह रहे हो तो कोई हल्का रोल कर लिया लेकिन कोई प्रोड्यूसर सिर्फ इसलिए किसी को रोल नहीं देगा कि वह उसका रिश्तेदार है। उसके बहुत सारे पैसे दांव पर लगे होते हैं और जब बात पैसों की हो तो रिश्ते अक्सर किनारे हो जाते हैं।
-आप बड़े पर्दे के कलाकार हैं तो छोटे पर्दे पर आने का इरादा कैसे हुआ। क्या अपनी फिल्मों की नाकामी आपको यहां ले आई?
-नहीं, मैं ऐसा नहीं सोचता कि फिल्में नहीं चल रही हैं या फिल्मों में काम नहीं मिल रहा है तो चलो टी.वी. कर लेते हैं। मुझे सिर्फ काम से मतलब है चाहे वह कहीं भी मिले। फिल्मों में, टी.वी. पर, मराठी सिनेमा में, गुजराती में, साऊथ इंडिया में, कहीं भी। मैं बस अच्छे रोल करना चाहता हूं, ऐसे किरदार निभाना चाहता हूं जिन्हें करके मुझे संतुष्टि मिले और लोगों को मजा आए। जैसे ‘तेरे बिन लादेन 2’ नहीं चली लेकिन उसमें मेरे किरदार डेविड चड्ढा को सबसे ज्यादा पसंद किया गया और मुझे खूब तारीफें मिलीं। मेरे लिए यही काफी होता है।
-आपकी अभी तक आई फिल्मों में से एक भी बॉक्स-ऑफिस पर नहीं चली। इसका मलाल नहीं होता?
-मलाल तो उसे हो जिसके पास खोने के लिए कुछ हो। मैंने तो अपना कोई मकाम बनाया ही नहीं कि मुझे उससे नीचे आने का डर हो। मैं बस अपना काम करता हूं और बहुत एन्जाॅय करके करता हूं। मेरे अंदर यह जिद भी नहीं है कि मैं सिर्फ हीरो के रोल करूंगा या सिर्फ विलेन के रोल करूंगा। मैं सिर्फ एक्टिंग करना चाहता हूं और मेरे लिए यही काफी है।
-आप एक फिल्मी परिवार से हैं और ऐसे में हीरो बनने का सपना पालना एक आम बात है। आपने कैसे खुद को इस सपने से परे कर लिया?
-मेरा मानना है कि सपने देखो तो बड़े देखो। खुद को एक दायरे में क्या बांधना कि सिर्फ हीरो बनना है। मैंने तो सपना देखा है ऑस्कर पाने का और वह भी बैस्ट एक्टर का। मेरे लिए मेरी मंजिल एक्टिंग करना है न कि हीरो बन कर एक्टिंग करना। कोई भी रोल मिले, अगर वह मुझे जंचेगा तो मैं करूंगा चाहे वह कहीं भी हो।
-कोई फिल्म भी कर रहे हैं?
-फिल्म तो नहीं मगर एक इंटरनेशनल टी.वी. शो जरूर कर रहा हूं जिसका नाम है ‘सैंस 8’ इसे उन वचाओस्की ने बनाया है जिन्होंने ‘मैट्रिक्स’ बनाई थी। इसके अलावा एक-दो इंटरनेशनल फिल्में हैं जिनके बारे में घोषणा होने पर ही बताना सही होगा।
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए सिनेमा व पर्यटन पर नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)