-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)
यह फिल्म ‘पैराडाइज़’ (Paradise) असल में भारत और श्रीलंका का को-प्रोडक्शन है जिसके निर्माताओं में अपने यहां के मणिरत्नम भी शामिल हैं। फिल्म के डायरेक्टर प्रसन्ना विथनगे श्रीलंका के नामी फिल्मकार हैं और उनकी गिनती सार्थक सिनेमा की दुनिया के प्रतिभाशाली वाहकों में की जाती है। फिल्म लिखी भी प्रसन्ना ने ही है जिसमें उनका साथ अनुष्का सेनानायके ने दिया है। दुनिया के कई नामी फिल्म फेस्टिवल्स में सराहनाएं व पुरस्कार बटोरने के बाद अब यह फिल्म आम जनता के लिए रिलीज़ की गई है। फिल्म की मुख्य भाषा अंग्रेज़ी है लेकिन इसमें सिंहली, मलयालम, तमिल, हिन्दी आदि भी हैं।
इस फिल्म (Paradise) की कहानी 2022 के साल में स्थित है जब आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रीलंका के निवासी पानी, बिजली, ईंधन आदि के लिए सड़कों पर आ चुके थे। ऐसे में भारत से एक युवा जोड़ा-केशव और अमृता अपनी शादी की पांचवीं सालगिरह मनाने श्रीलंका पहुंचता है। वहां उनका सामान चोरी हो जाता है। शक के आधार पर सिंहली पुलिस कुछ तमिल युवकों को उठा लेती है। पुलिस की पिटाई से एक युवक की मौत हो जाती है जिससे तमिल समुदाय भड़क उठता है और मामला बिगड़ने लगता है।
स्टोरी-लाइन (ट्रेलर का लिंक यह रहा) से किसी थ्रिलर का अहसास देती यह फिल्म (Paradise) असल में इंसानी नज़रियों की कहानी है। केशव और अमृता श्रीलंका के ‘रामायण टूर’ पर निकले हैं। श्रीलंका की खूबसूरती इस जगह को ‘पैराडाइज़’ (जन्नत) बनाती है लेकिन केशव का एक नज़रिया यह भी है कि आर्थिक तंगी के इस डिस्टर्ब समय में वहां जाना सस्ता पड़ता है। इनका ड्राईवर-गाइड इन्हें एक जगह दिखाते हुए कहता है कि कुछ लोगों का नज़रिया है कि रावण मरा नहीं बल्कि गहरी निद्रा में है और किसी दिन श्रीलंका को बचाने के लिए जाग जाएगा। अमृता कहती भी है कि लिखने वालों ने तीन सौ से ज़्यादा रामायण अपने-अपने नज़रिए से लिखी हैं। सिंहली पुलिस का नज़रिया तमिलों के प्रति शक का है और तमिलों का सिंहलियों के प्रति अत्याचार का। दरअसल यह पूरी कहानी ही ‘मुझे ऐसा लगता है’ और ‘मेरा यह मानना है’ के नज़रिए से लिखी-बुनी गई है जिसमें हर सीक्वेंस को हर किरदार अपने-अपने नज़रिए से परिभाषित करता है। फिल्म में कई जगह दिखने वाला हिरण असल में उस मन और मनोदशा का ही परिचायक है जो अपने-अपने नज़रिए के मुताबिक बदलता रहता है।
लगभग डेढ़ घंटे की इस फिल्म (Paradise) की कहानी परत-दर-परत खुलती है। अपने भीतर जटिलताएं समेटे होने के बावजूद अपने सहज प्रवाह के चलते यह फिल्म लुभाती है। प्रसन्ना विथनगे का सटीक निर्देशन इसे दर्शनीय बनाता है। अंत में जब हर किरदार एक ही घटना पर अपना-अपना नज़रिया बता रहा होता है तो लगता है कि दूर से जन्नत दिखने वाली चीज़ें (चाहे वह कोई जगह हो या कोई रिश्ता) ज़रूरी नहीं, सच ही हों। स्क्रिप्ट में एक बड़ा झोल यह लगा कि शादी के पांच साल बाद पत्नी को पति की असल फितरत दिख रही है। इनकी शादी की पहली या दूसरी सालगिरह दिखाई जाती तो ज़्यादा तार्किक लगता।
रोशन मैथ्यू और दर्शना राजेंद्रन का अभिनय असरदार है। दर्शना अपने भावों से गहरा प्रभाव छोड़ती हैं। ड्राईवर बने श्रीलंकाई अभिनेता श्याम फर्नांडो और पुलिस अफसर बने महेंद्र परेरा अपनी प्रतिभा से प्रभावित करते हैं। बाकी के कलाकारों का काम भी अच्छा है। फिल्म की लोकेशन सचमुच जन्नत का अहसास कराती हैं। राजीव रवि का कैमरा दृश्यों के असर को बढ़ाता है। संपादन चुस्त है। ‘के’ यानी कृष्ण कुमार का संगीत बेहद असरकारक है। बैकग्राउंड म्यूज़िक और ध्वनियां भी फिल्म (Paradise) का बखूबी साथ निभाती हैं।
यूं तो यह फिल्म (Paradise) गूढ़ सिनेमा पसंद करने वालों को ही ज़्यादा भाएगी लेकिन एक सीख इस फिल्म से आम दर्शक भी ले सकते हैं कि किसी डिस्टर्ब जगह पर पर्यटन के लिए न जाएं, पर्यटन के दौरान किसी लफड़े में न फंसें, कुछ गड़बड़ दिखे तो वहां से निकलने में ही भलाई है, वरना…!
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Release Date-28 June, 2024 in theaters
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए सिनेमा व पर्यटन पर नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
Bahut achchha content, umda review.
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