-दीपक दुआ…
आंखें बंद कीजिए और कल्पना कीजिए कि आप बनारस के मणिकर्णिका घाट पर बैठे हैं। आपसे बहुत दूर कहीं एक चिता जल रही है लेकिन उसकी तपिश आपको रह-रह कर महसूस हो रही है। ‘कर्म कांड’ को सुनेंगे तो आपको ठीक यही अहसास होगा। इस कहानी के शब्द कब और कैसे आपके चारों तरफ एक जाल बुन जाते हैं, यह इसे सुन कर ही जाना जा सकता है।
‘कर्म कांड’ नाम की यह सीरिज़ किसी थिएटर या ओ.टी.टी. पर नहीं बल्कि ‘वेल्वेट’ नाम के ऑडियो प्लेटफॉर्म पर आई है जहां आप मुफ्त में ढेरों कहानियां सुन सकते हैं। मनोरंजन के क्षेत्र में आई तकनीकी उन्नति के चलते इस किस्म के मंचों से कहानियों का संसार भी उन्नत हो रहा है।
‘कर्म कांड’ कहानी है बनारस शहर की। शहर में एक-एक कर के कई लोग गायब हो चुके हैं लेकिन हैरानी की बात यह है कि किसी का पता तो छोड़िए, लाश तक नहीं मिल रही है। शक डमरू नाम के एक आदमी पर है जो मणिकर्णिका घाट पर चिताएं जलाने का काम करता है। क्या सचमुच डमरू ही यह सब कर रहा है? क्या मकसद है इसके पीछे?
इस किस्म की कहानियों का सबसे बड़ा खज़ाना इनके भीतर छुपे रहस्य में तो होता ही है, इस बात पर भी होता है कि उन्हें पेश कैसे किया गया है। लेखक सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’ ने इस कहानी को बहुत ही दिलचस्प अंदाज़ में लिखा है और वह अगले एपिसोड के लिए जिज्ञासा बनाए रखते हैं। युवा लेखक सहर वैसे भी कलम के धनी हैं और उनका लिखा पढ़ने के बाद उनका प्रशंसक हो उठना स्वाभाविक होता है। हालांकि दो-एक जगह वह हौले-से चूके भी हैं लेकिन उसका अहसास नहीं हो पाता है।
ऑडियो-कहानियों में श्रोताओं को बांधे रखने का सारा दारोमदार कहानी सुनाने वाले यानी नैरेटर और उसके किरदारों को निभाने वाले कलाकारों पर होता है। यहां बतौर नैरेटर विकास कुमार विजय-पताका फहराते हैं। विकास कुमार को न सिर्फ कई सारी फिल्मों और वेब-सीरिज़ में बेहद प्रभावी अभिनय करते हुए देखा गया है बल्कि वह फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने डायलेक्ट-कोच भी हैं जो दूसरे कलाकारों को संवाद बोलने की ट्रेनिंग देते हैं। ऐसा महारथी जब खुद किसी कहानी को आवाज़ देगा तो ज़ाहिर है कि वह कहानी सीधा वार करेगी। विकास ने इस दिलचस्प कहानी के रहस्यमयी आवरण को अपनी आवाज़ से और गाढ़ा ही किया है। इस कहानी के किरदारों को आवाज़ देने वाले कलाकारों ने भी खूब समां बांधा है। उन सभी के नामों का भी कहीं ज़िक्र होता तो अच्छा था।
इस कहानी को सुनते हुए आप बनारस के घाटों पर, वहां की किसी स्याह रात में किसी सुनसान सड़क पर जा पहुंचते हैं तो इसके पीछे इस सीरिज़ की साउंड डिज़ाईनिंग का भी भरपूर योगदान रहा है। हाल ही में शुरू हुए इस ऐप पर शेयरिंग और रिज़्यूम जैसी कुछ और सुविधाएं जुड़ जाएं तो यह अधिक यूज़र-फ्रेंडली हो सकता है। फिलहाल इस सीरिज़ के दो सीज़न आए हैं जिनमें आठ-नौ मिनट के पांच-पांच एपिसोड हैं जिन्हें सुनने के बाद तीसरे सीज़न के लिए बेकरारी बढ़ जाती है।
वेल्वेट ऑडियो ऐप पर ‘कर्म कांड’ व अन्य कहानियों को सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release on Velvet Audio App.
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए सिनेमा व पर्यटन पर नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
Ye kahani wakie dilchasp h ye kahani sunne ke baad aage kya hoga kya ho skta h kya honne wala h ye jigasa lgi h . Dil se duaa deti hu ubhrte hue lekhak ko kafi aagejaye or apna mukam hasil kare . Thnq sidharth arora ji .
नया अनुभव मजेदार रहेगा…..पॉडकास्ट ही है….. नए ज़माने का श्रुति सिनेमा