-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)
बच्चों के मनोरंजन के लिए बनाई जाने वाली फिल्मों को अपने यहां के ज़्यादातर बड़े यह सोच कर किनारे कर देते हैं कि इन पर क्या पैसे खर्चने, कल को टीवी-शीवी पर देख लेंगे। कुछ एक पेरेंट्स अपने बच्चों को ऐसी फिल्में दिखाते भी हैं तो ‘बच्चों के मतलब की फिल्म में हमारा क्या काम’ सोच कर खुद किनारे हो जाते हैं। ‘छोटा भीम एंड द कर्स ऑफ दमयान’ के शो में थिएटर में मौजूद बच्चों के साथ उनके माता या पिता में से सिर्फ एक का होना और उनका भी मोबाइल में डूबे रहना इसी विडंबना को दिखाता है। जबकि इस हफ्ते रिलीज़ हुई सभी फिल्मों में से यही सबसे अच्छी और कायदे की फिल्म है।
‘छोटा भीम’ का किरदार करीब डेढ़ दशक से बच्चों का पसंदीदा रहा है। 2012 में ‘छोटा भीम एंड द कर्स ऑफ दमयान’ नाम से एक एनिमेशन फिल्म आई थी। अब उसी फिल्म को लाइव एक्शन में बनाया गया है। लाइव एक्शन यानी जिसमें कलाकार हैं, उनकी एक्टिंग है और साथ में वी.एफ.एक्स. से रचे गए किरदार और माहौल तो हैं ही।
कहानी उसी ढोलक पुर की है जहां छोटा भीम अपने दोस्तों के साथ मिल कर मस्ती भी करता है और बुरे लोगों को धूल भी चटाता है। लेकिन अब ढोलक पुर और उसके साथ ही पूरी धरती पर संकट है क्योंकि एक हज़ार साल से कैद दमयान नाम का सर्पीला राक्षस जाग चुका है। इस राक्षस के शाप से धरती को बचाने का सिर्फ एक ही तरीका है और वह न सिर्फ बहुत मुश्किल है बल्कि उसमें भीम और उसके दोस्तों की जान को खतरा भी है। मगर ये लोग दूसरों की मदद करने से कभी पीछे हटे हैं क्या…!
श्रीदिशा दिलीप और नीरज विक्रम की लिखी कहानी शानदार है। एक्शन, इमोशन और कॉमेडी के संग जादुई करतबों से उन्होंने फिल्म को भरसक दिलचस्प बनाए रखने की सफल कोशिश की है। यही कारण है कि फिल्म कहीं भी बोर किए बिना देखने वालों को बांधे रखती है और इसके किरदार अपनी हरकतों व संवादों से हंसाते भी रहते हैं। राजीव चिलका का निर्देशन फिल्म को स्तरीय बनाए रखता है। कलाकारों से काम निकलवाना हो या फिर कम्प्यूटर से माहौल बनवाना, उनकी मेहनत दिखती है। बार-बार आते एक जैसे एक्शन दृश्यों से बचते हुए फिल्म में थोड़ी और घटनाएं डाल कर इसकी 2 घंटे 25 मिनट की लंबाई को कसा जा सकता था। संवाद कई जगह तो बहुत असरदार रहे मगर कुछ एक जगह लगा कि इन्हें और बेहतर होना चाहिए था। वी.एफ.एक्स. सीन बेहद प्रभावशाली रहे। कहीं लगा ही नहीं कि आप कुछ कम्प्यूटर जनित देख रहे हैं। बल्कि 3-डी की कमी महसूस हुई। सैट, माहौल आदि विश्वसनीय और बैकग्राउंड म्यूज़िक असरदार रहा। गाने और उनका फिल्मांकन दर्शनीय है जिन्हें छोड़ कर थिएटर से बाहर जाने का मन नहीं होता। फिल्म के सभी पात्र खलनायक को ‘दमयान’ बोलते हैं लेकिन वह खुद को ‘दाम्यान’ बोलता है, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए था।
भीम की भूमिका में बाल-कलाकार यज्ञ भसीन ने बेहद सधा हुआ और प्रशंसनीय काम किया। कुछ साल पहले ‘पंगा’ में कंगना रानौत के बेटे की भूमिका में भी शानदार काम कर चुके यज्ञ में काफी संभावनाएं हैं। लेखकों-फिल्मकारों को उन पर नज़र रखनी चाहिए। भीम के साथियों के रूप में आए बाल-कलाकारों ने भी सधा हुआ काम किया। अनुपम खेर और मकरंद देशपांडे जैसे दिग्गज कलाकार तो एक्टिंग का स्कूल हो चले हैं। राजा इंद्रवर्मा के रोल में किसी सधे हुए अभिनेता को लिया जाना चाहिए था।
(रिव्यू-अरमानों से हल्का-सा ‘पंगा’)
यह फिल्म सिर्फ मनोरंजन ही नहीं देती बल्कि बहुत कुछ सिखाती भी है। उदाहरण के लिए-बुराई चाहे कितनी ही ताकतवर क्यों न हों, अच्छाई कभी न कभी उसे हरा ही देती है। मिल कर काम करने से किसी भी मुश्किल लक्ष्य को पाया जा सकता है। सच्चे और विनम्र इंसान की हर कोई मदद करता है। और इनसे भी बढ़ कर यह कि बल, बुद्धि और विद्या से सज्जित नई पीढ़ी ही इस धरती को बचाने का काम करेगी। इस फिल्म को बच्चों की फिल्म समझ कर किनारे मत कीजिएगा। बच्चों के साथ बच्चा बन कर देखेंगे तो इसे खूब एन्जॉय करेंगे।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release Date-31 May, 2024 in theaters
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए सिनेमा व पर्यटन पर नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
स्कूल में गर्मियों की छुट्टियां हो औऱ बच्चों क़े लिए बॉलीवुड उनके लिए फ़िल्म न बनाये तो ऐसा हो ही नहीं सकता…..
बच्चों क़े लिए एक बेहद ही मनोरंजक फ़िल्म साबित है…