
राजस्थान की राजधानी जयपुर से नाहरगढ़ के किले की तरफ जाएं तो किले से थोड़ा पहले एक बोर्ड लगा हुआ दिखता है जिस पर लिखा है-चरण मंदिर। लेकिन सामने वाली इमारत को देखिए तो लगता है कि कोई पुराना-सा महल है। अंदर जाइए तो कछवाहा शैली के किले की बनावट दिखती है। लेकिन इसी के भीतर है यह ‘चरण मंदिर’। नाहरगढ़ जाने वाले बहुत कम पर्यटक ही यहां रुकते हैं। ज्यादातर स्थानीय लोग या फिर उत्सुक सैलानी ही इसके भीतर जाते हैं। यहां लिखी कथा के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण महाराजा मान सिंह प्रथम ने करवाया था जिन्हें खुद भगवान श्रीकृष्ण ने स्वप्न में आकर इस जगह पर अपने और अपनी गायों के चरण-चिन्ह होने की बात बताई थी। तब राजा ने अपने सेवकों से इस जगह की खोज करवाई और अंबिका वन यानी आमेर पहाड़ी पर यह स्थान मिलने पर वह अपने पुरोहितों सहित यहां पहुंचे। पुरोहितों ने उन्हें बताया कि यह चिन्ह् द्वापर युग के समय के हैं और उन्हें श्रीमद्भागवत कथा के 10वें स्कंध के चौथे अध्याय में वर्णित विद्याधर
(सुदर्शन) के उद्धार की कथा सुनाई।

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक
व पत्रकार हैं। 1993
से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज़ से घुमक्कड़। अपने ब्लॉग ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए
नियमित लिखने वाले दीपक रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
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