-दीपक दुआ...

चेतन भगत को आप भले ही अंग्रेजी का रानू या गुलशन नंदा मानें और उनके लिखे को लुगदी साहित्य, लेकिन सच यह है कि किताबों के प्रति नई पीढ़ी की दिलचस्पी में इजाफा करने का अच्छा-खासा श्रेय उनके लिखे उपन्यासों को ही जाता है। दिलचस्प और अपनी-सी लगने वाली कहानियों को बेहद रोचक शैली और साधारण भाषा में कहने के उनके हुनर के चलते उनके करोड़ों चाहने वाले हैं। ‘हाफ गर्लफ्रैंड’ की ही बात करें तो इसमें भरपूर रोचकता है और जिस तरह से एक हिन्दी टाइप कस्बाई लड़का दिल्ली की अंग्रेजी टाइप लड़की को टूट कर चाहता है, जिस तरह से वह अपने छोटे-से स्कूल को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत करता है, वह न सिर्फ प्रेरक लगता है बल्कि रोमांचक और रूमानी भी। यह उपन्यास पढ़ते समय लगता है जैसे पन्नों पर कोई फिल्म चल रही हो। मन में यह इच्छा भी उठती है कि इस पर फिल्म बन जाए तो मजा आए। लेकिन इस फिल्म को देखने के बाद इस बात का अफसोस होता है कि कैसे एक अच्छी कहानी आखिर एक खराब पटकथा के कारण बर्बाद हो गई।
यह सही है कि यह पूरे का पूरा उपन्यास पर्दे पर उतार पाना मुमकिन नहीं है लेकिन क्या लेना है, कैसे लेना है, उसके पीछे क्या कारण देना है जैसी बातें तो पटकथा लेखक को ध्यान में रखनी ही होंगी न और स्क्रिप्ट राइटर तुषार हीरानंदानी यहां बुरी तरह से चूकते नजर आए हैं। हिन्दी-अंग्रेजी की बहस को वह असरदार नहीं बना पाए। स्कूल में शौचालय की बात हल्केपन से कह गए। और तीन साल सेंट स्टीफेंस जैसे कॉलेज में रहने के बाद तो वहां के पेड़-पौधे भी अंग्रेजी बोलने लगते हैं, माधव इतना निकम्मा कैसे निकला? अंत में न्यूयॉर्क के उस क्लब के चैकीदार को उसने हिन्दी में ऐसा क्या सुना दिया कि वह राजी हो गया? उपन्यास में से कई अच्छे सीन नहीं
लिए गए लेकिन अंत में दोनों के हमबिस्तर होने का सीन, जो उपन्यास में भी गैरजरूरी लग
कर खटक रहा था, उसे तुम लेना नहीं भूले। यार, तुम ‘ग्रैंड मस्ती’ ही लिखो, प्रेम-कहानियों को यूं बर्बाद न करो।
फिल्म की सबसे बड़ी कमी तो इसके नायक के किरदार में अर्जुन कपूर का होना है। बिहारी माधव झा के रोल को वह भरपूर कोशिश के बाद भी नहीं पकड़ पाए। असल में यह रोल उनके लिए था ही नहीं। 12वीं पास करके आए 18-19 साल के लड़के के रोल के लिए उन जैसा हट्टा-कट्टा और वजनी शख्स...? यह चुनाव ही गलत था। श्रद्धा को रोल हल्का मिला लेकिन उन्हें अब अपने किरदार में घुस जाने का हुनर आ गया है। कोई दमदार रोल आने दीजिए, इस लड़की ने अगर आसमान में छेद न किया तो कहिएगा। विक्रांत मैसी और सीमा विश्वास को जरा और अच्छे सीन दिए जाने चाहिए थे। गीत अच्छे हैं। दो गाने तो बहुत प्यारे लगते हैं।

अपनी रेटिंग-दो स्टार
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