-दीपक दुआ...

जी हां, ‘बाहुबली’ देखते समय अगर आपने सोचा था कि इतनी भव्यता तो अब तक सिर्फ हॉलीवुड की
फिल्मों में ही होती थी और हमने उसका जवाब दे दिया है तो यकीन मानिए कि ‘बाहुबली 2’ को देखते समय
आपका सिर गर्व से ऊंचा हो जाएगा, कंधे चौड़े होंगे, छाती दम भर फूलेगी और मन कहेगा कि उतने ही जोर से
चीख कर आप भारतीय सिनेमा की जय कहें जितने जोर से सामने पर्दे पर जय माहिष्मती का
उद्घोष होता है।
यह फिल्म सिर्फ ‘कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?’ का ही जवाब
नहीं देती है बल्कि यह उन तमाम लोगों के उन ढेरों सवालों के जवाब भी देती है जो भारतीय
सिनेमा पर अक्सर उठाए जाते हैं। कहीं-कहीं मामूली तौर से हल्की पड़ती यह फिल्म हिन्दी
फिल्मों के कारोबारियों के लिए एक उम्दा सबक है कि अब राग-विलाप छोड़ कर अपने यहां
की प्रतिभाओं को छूट और इज्जत दीजिए। एक सबक दर्शकों के लिए भी है कि जरा आसपास
नजरें दौड़ाइए, भव्य
फिल्म आए सिर्फ तभी नहीं,
बल्कि दूसरी भाषाओं में बनने वाली अच्छी फिल्में ढूंढिए, देखिए, सराहिए ताकि
हिन्दी में भी और बेहतर सिनेमा बन कर आ सके।
‘बाहुबली
2’ को
बिना सवाल उठाए देखिए और फख्र कीजिए कि आप ऐसे समय में हैं जब यह फिल्म बन कर आई
है।
अपनी रेटिंग-चार स्टार
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